
नई दिल्ली : आमतौर पर ब्रेस्ट महिलाओं में होने वाला बीमारी माना जाता है, लेकिन यह पुरुषों में भी सकता है। लोगों में इसे लेकर जागरूकता नहीं है, लेकिन यह पुरुषों में भी उतना ही खतरनाक हो सकता है, जितनी महिलाओं में। पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर लक्षण और जांच भी महिलाओं की तरह ही किया जाता है, जहां महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के कारणों में जेनेटिक और लाइफस्टाइल को प्रमुख कारण माना जाता है तो वहीँ पुरुषों में यह बीमारी अनयूजअल सिंड्रोम और जेनेटिक कारणों से होती है।
सिंड्रोम और जेनेटिक कारण हैं जिम्मेदार
फोर्टिस हॉस्पिटल के कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर विकास गोस्वामी का कहना है कि दो से तीन ऐसे सिंड्रोम हैं, जिसके कारण पुरुषों में यह बीमारी होती है, इसमें सबसे ज्यादा जेनेटिक कारण प्रमुख है, जबकि कुछ सिंड्रोम ली ली-फ्राउमिनी सिंड्रोम, बीआरएसी, पीटीईएन जैसे सिंड्रोम भी पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर के कारण हो सकते हैं।
वहीँ एम्स के पूर्व कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर पी के जुल्का का कहना है कि पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर का एक प्रतिशत चांस हो सकता है, क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम और बीआरएसी वन और टू की वजह से पुरुषों में कैंसर का खतरा रहता है। इसके अलावा किसी में हार्मोन रिसेप्टर पॉजिटिव आता है, तो भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है।
समय पर इलाज ही बचाव
दरअसल पुरुषों के चेस्ट में टिशू का लेवल कम होता है, इसलिए यह जल्दी फैलता है और तुरंत ही यह एडवांस स्टेज पर पहुंच जाता है। जिन पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर होता है, उनकी बेटी को भी ब्रेस्ट कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। पुरुषो के ब्रेस्ट में कोई बदलाव नजर आए तो इसे जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं, पुरुषों में जल्दी बढ़ता है ऐसे में समय पर इलाज बेहद जरुरी है।
हालाँकि अभी इस बारे में जानकारी का अभाव है। अगर किसी के ब्रेस्ट से ब्लीडिंग होती है या कोई गांठ बनता है तो वो इसे आमतौर पर इनफेक्शन समझ लिया जाता है या इससे मिलती-जुलती दूसरी बीमारी मान लेते हैं, इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी डॉक्टरों को भी यह जानना जरूरी है कि पुरुषों में ब्रेस्ट कैंसर होता है और जिस तरह महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की पहचान और जांच की जाती है, उसी तरह पुरुषों की भी जांच होती है और वही इलाज भी होता है।