
नई दिल्ली : गम्स की बीमारी का दिल एवं शरीर से गहरा संबंध है। दांत, मसूड़े एवं मुंह स्वस्थ रहेंगे तो आप अन्य बीमारियों से भी बचे रहेंगे। अगर आपको मुंह में कोई बीमारी हो तो इसमें मौजूद बैक्टीरिया दिल तक पहुंचते हैं, जिससे आपका दिल एवं प्रभावित होता है। मुंह स्वस्थ ना हो तो सबसे ज्यादा खतरा दिल को होता है। आपको दांत, मसूड़े एवं मुंह की बीमारी लगातार होती है, तो उससे दिल के रोग, डायबिटीज एवं निमोनिया होने का खतरा बढ़ जाता है।
हम जो भी खाते पीते हैं, उसका कुछ अंश दांतों एवं मसूड़ों में रह जाता है। अगर इसे ठीक से साफ न किया जाए तो यहां बैक्टीरिया को पनपने का मौका मिल जाता है। ये दांतों व मसूड़ो को संक्रमित कर अस्वस्थ और कमजोर करते हैं। इससे दांत सडने, गलने एवं खोखले होने लगते हैं। दांतों में दर्द एवं मसूड़ों में सूजन होने लगती है। मुंह से लगातार दुर्गंध आने लगती है और ये ही हमारे दिल को नुकसान पहुंचाती हैं।
इनकी सफाई हमारे जीवनचर्या का अभिन्न अंग हैं और लिए प्राकृतिक साधन का इस्तेमाल करना हो तो नीम का दातुन अछ्छा होता है, ये मसूड़ों को साफ रखते हैं और इन्हें मजबूत एवं निरोग रखते हैं।
खाने के बाद हर बार ब्रश करना, कुल्ला करना और कायदे से फ्लॉसिंग करना दांतो को साफ रखने से संबंधित बुनियादी जरूरत है और यह रोज करें तो दांत स्वस्थ रहेगा और की चेकअप कराने की जरूरत कम होगी। दांतों के डॉक्टरों का कहना है कि साफ दांत और मसूड़ों से हृदय से संबंधित बीमारियों का जोखिम कम हो जाता है। ताईवान वेटरन्स जनरल हॉस्पिटल के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि जो लोग अपने जीवन काल में दांतों की सफाई कम से कम एक बार कराते हैं, उन्हें हार्ट अटैक का जोखिम 24 प्रतिशत कम होता है और स्ट्रोक का जोखिम 13 प्रतिशत कम होता है।
स्वस्थ मसूड़े और दिल हैं जरूरी
मसूड़ों में सूजन का असर दिल पर हो सकता है, इससे (इनफ्लेमेट्री एजेंट) मस्तिष्क में सूजन का कारण बन सकते हैं और यह याद्दाश्त कमजोर हो सकती है। जनरल ऑफ पेरीओडोंटोलॉजी और अमेरिकन जनरल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित एक रिपोर्ट में नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रीशन एक्जमीनेशन सर्वे के एक अध्ययन के मुताबिक मसूड़ों की बीमारी से दूसरी बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है। इसका संबंध उन बीमारियों से होता है, जो मस्तिष्क में खून पहुंचाने वाली धमनियों से जुड़े होते हैं। दांत और मसूडे स्वस्थ्य रहें तो सांस संबंधी समस्या भी नहीं होती। कुछ अध्ययन बताते हैं कि माइक्रोऑर्गैनिज्म की मौजूदगी से मसूड़ों की बीमारी हो सकती है और सांस संबंधी समस्या शुरू होने की भी आशंका रहती है।