चार मसालों की खुशबू वाला है यह एक मसला, स्वास्थ के लिए भी है फायदेमंद

नई दिल्ली : मसालों के लिए एशिया खासकर भारत दुनिया भर में जाना जाता है। इनमें कुछ मसाले भूमध्यसागर का तटवर्ती इलाके में पाई जाती है। इनमें सबसे खास है कबाबचीनी, जिसे अंग्रेजी में ‘ऑल-स्पाइस’ कहा जाता है।

एक मसाले में चार की खुशबु
काली मिर्च की तरह दिखने वाला कबाबचीनी का गंध चार मसालों दालचीनी, लवंग, इलायची और जायफल की मिली-जुली महक जैसी लगती है। स्वाद के मामले में यह इनमें किसी एक के बराबर तेज नहीं होता और उड़नशील तेलों का वाष्पीकरण बहुत तेजी से होता है, इसलिए पहले से पिसे पाउडर का असर फीका लगता है। यूरोप में इसे ज्यादा इश्तेमाल किया जाता है।

कबाबचीनी की खोज का श्रेय कोलंबस को जाता है। इसका खोज अकस्मात हुआ था, जब वह उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीपों के बीच कैरेबियन सागर में स्थित जमैका की धरती पर जहाज ने लंगर डाला तो उन्होंने इन बोरियों को काली मिर्च समझ लिया। कबाबचीनी का हठीला पेड़ जमैका के बाहर नहीं उग सका। इस मसाले का सबसे बड़ा खरीददार नॉर्वे है, नॉनवेज बनाने में इसका ज्यादा इश्तेमाल होता है। वहीँ जर्मनी में सॉसेज बनाने में भी इसका इश्तेमाल होता है। पश्चिम में केक-पेस्ट्री, चीज और वाइन के अलावा आफ्टर शेव लोशन, टूथपेस्ट और दवाइयों के बनाने में कबाबचीनी का व्यापक रूप से इस्तेमाल होता है।

इन मसालों में भी मौजूदगी
हर्बल चिकित्सा और एरोमा थेरेपी वगैरह में भी कबाबचीनी का इश्तेमाल किया जाता है। इससे हड्डियां मजूबत होती हैं। झुर्रियां दूर होती हैं, पाचन शक्ति बढ़ती है, रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।

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