
नई दिल्ली : सर्दियाँ शुरू होते ही लोग ठंड से बचने के लिए गर्म कपडे और स्वेटर निकालते हैं, लेकिन ये कपडे आपके स्वास्थ के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि ये कपडे फ्लू और बैक्टीरिया जनित संक्रमण का कारण बन सकते हैं। खासकर बच्चों के कपड़ों को धूप में सुखाना जरूरी है, पर्याप्त धूप नहीं मिलने से उनके कपड़ों में बैक्टीरिया, फंगस, रैसेज या खुजली हो सकती है। उनमें फंगस पनपने लगते हैं, जिसके संपर्क में आने से ही खांसी या फ्लू की संभावना बढ़ जाती है। संक्रमण से बचने के लिए जरूरी है कि धूप निकले या निकले, कपड़ों को बेहतर ढंग से सुखाकर पहनें।
दिल्ली मेडिकल काउंसिल और ग्लोबल हाइजीन काउंसिल के सदस्य डॉ. नरेन्द्र सैनी का कहना है कि गर्मियों में संभालकर रखे गए गरम कपड़ों को सर्दियों में अकसर बिना धुले लोग इश्तेमाल कर लेते हैं, लेकिन लंबे समय तक हवा के संपर्क में न आने और डस्ट धुल मिटटी नमी के कारण इनमें बैक्टीरिया या फंगस पनप जाते हैं, शरीर के संपर्क में आने पर इन्हें गर्मी मिलने लगती हैं। इस समय बैक्टीरिया और फंगस स्पोर (बीजाणु) के रूप में बदल जाते हैं, जिनको स्टरलाइज या विसंक्रमित करना मुश्किल होता है। सर्दियों में धूप की कमी के कारण लोग गरम कपड़ों को धोते नहीं हैं, या फिर धोते हैं तो उन्हें सही सूखने के लिए सही तापमान नहीं मिलता।
मफरल, दस्ताने, टोपी, रजाई और बच्चों के नैपी इस तरह के संक्रमण बढ़ाने में सबसे अधिक कारगर हैं। संक्रमण से बचाने के लिए गरम कपड़ों का 70 से 80 डिग्री सेंटिग्रेट तापमान की जरूरत होती है। जबकि सदियों में अधिकतम तापमान 19 डिग्री सेंटिगे्रट से ऊपर नहीं जाता, ऐसे में कपड़ों को सुखाने के लिए ब्लोअर, हीट ड्राई वाशिंग मशीन या फिर ड्राई क्लीनिंग का सहारा लें।
ये हो सकते हैं नुकसान
त्वचा के संपर्क में आने पर बैक्टीरिया खुजली और चकते पैदा हो सकते हैं
मफरल या टोपी के जरिए नाक तक पहुंचे बैक्टीरिया जुखाम का कारण बनते हैं
फिनायल या कपूर की गोलियों में रखें रजाई या गर्म कपडे अस्थमा या अटैक बढ़ा सकते हैं
सर्दियों में हल्की गीली नैपी भी हर्पिज का कारण बन सकती है
सावधानी
सर्दियां खत्म होने पर कपडें धोकर रखें
इस्तेमाल से पहले धूप या ब्लोवर के सामने रखें
ड्राई क्लीनिंग या हीट ड्राई बेहतर है