Navratri 2023 में दुर्गा सप्तसती के पाठ का क्या है महत्व, किस … | Sanmarg

Navratri 2023 में दुर्गा सप्तसती के पाठ का क्या है महत्व, किस …

कोलकाता : हिंदू धर्म में नवरात्र पर्व का खास महत्व होता है। नौ दिन तक लोग पूरी निष्ठा और श्रद्धा से मां दुर्गा की आराधना करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। देवी भागवत पुराण में कहा गया है कि नवरात्र के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों तरह के ताप दूर हो जाते हैं।
दुर्गा सप्तसती में होते हैं 13 अध्याय
यही कारण है कि लोग नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय का पाठ करते हैं। दुर्गा सप्तशती का संपूर्ण पाठ करने में कम से कम तीन घंटे का समय लगता है, लेकिन आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में रोजाना संपूर्ण पाठ करना सबके लिए संभव नहीं हो पाता है। आइए जानते हैं दुर्गा सप्तशती का पाठ कैसे किया जाता है।
शुभ समय देखकर करना चाहिए दुर्गा सप्तसती का पाठ
हिंदू धर्म शास्त्रों की मान्यता है कि विशेष समय में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामना बहुत ही जल्द पूरी हो जाती हैं। नवरात्र के नौ दिन में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने के लिए शुभ समय देखकर करना चाहिए।
सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है पाठ
ऐसी मान्यता है कि श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना जैसे नौकरी संतान भूमि भवन और वाहन सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती है। यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ सही समय पर किया जाए तो माता रानी की अति विशेष कृपा प्राप्त होती है।
जानें दुर्गा सप्तसती के पाठ का शुभ समय
दुर्गा सप्तशती पाठ के लिए सबसे उत्तम समय प्रातः काल माना जाता है। पाठ के लिए राहुकाल का परित्याग करना चाहिए।राहू काल में पाठ करने से अशुभ फल प्राप्त होता है। इसलिए राहू काल का ध्यान रखना आवश्यक है। ज्योतिष एवं धर्म शास्त्र के अनुसार, नवरात्र में दुर्गा सप्तशती के पाठ और सिद्धियों के लिए बहुत ही अच्छा समय माना गया है।
पाठ घर से दूर भगाता है नकारात्मकता
दुर्गा सप्तशती पाठ एक बहुत ही बड़ी उपासना है। दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत ही शुभ एवं लाभकारी रहता है परन्तु यदि, इसका पाठ नवरात्र के दिनों में नियमित रूप से किया जाए तो व्यक्ति को विशेष फल प्राप्त होता है। घर में नकारात्मकता ऊर्जा प्रवेश भी नहीं होने पाती है। सदा सकारात्मकता बनी रहती है।
दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय तीन चरित्रों में बंटे
दुर्गा सप्तशती में कुल 13 अध्याय हैं ज‌िन्हें तीन चर‌ित्र या यू कहें तीन ह‌िस्सों में बांटा गया है। प्रथम चर‌ित्र ज‌िसमें मधु कैटभ वध की कथा है। मध्यम चर‌ित्र में सेना सह‌ित मह‌िषासुर के वध की कथा है और उत्तर चर‌ित्र में शुम्‍भ न‌िशुम्‍भ वध और सुरथ एवं वैश्य को म‌िले देवी के वरदान की कथा है। हर अध्याय के पाठ का अलग-अलग फल म‌िलता है।
दुर्गा सप्तशती पाठ का महत्व
पुराणों के अनुसार, भगवान शिव ने माता पार्वती को एक उपाय बताया था। उन्‍होंने माता पार्वती से कहा था कि जो अर्गला, कीलक और कवच का नित्य पाठ करते हैं, उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति होती है और संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ का लाभ भी मिलता है।

 

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