Ganesh Chaturthi 2023 : गणेश चतुर्थी पर कैसे करें पूजा, किन-किन बातों का रखें ध्यान

रायपुरः पूरे देश में गणेश चतुर्थी का पर्व बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है। खासकर बच्चों को गणपति बप्पा का इंतजार बेसब्री से रहता है। वहीं, महिलाएं भी विघ्नहर्ता को अपने घरों, व्यवसाय वाले स्थान और गली मोहल्लों में स्थापित करने के लिए उत्सुक रहते हैं। इस दिन भगवान गणेशजी की नवीन प्रतिमा को ग्यारह दिन पहले घर, मोहल्ले और कामकाज वाले स्थान में स्थापना कर उनकी पूजा की जाती है। इस वर्ष यह तिथि यानी गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023 दिन मंगलवार को पड़ रहा है। इस दिन भगवान गणेशजी की मूर्ति स्थापना कर सुंदर तरीके से सुबह शाम पूजा करना चाहिए। दिनचर्या के अनुसार आरती अवश्य उतारना चाहिए।

गणेश जी की पूजा करने का तरीका
गणेश जी की पूजा हर तरह के विघ्नों को शांत करने के लिए किया जाता है। गणेश जी की प्रथम पूजा की जाती है। भगवान गणेश जी सबकी मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं। सबसे सरल और सहज पूजा भगवान गणेश जी की होती है। छोटे-छोटे बच्चे गली मोहल्लों में चौक चौराहों में भगवान गणेश जी के लिए एक छोटा सा मंच बनाकर मूर्ति स्थापना करते हैं। भगवान गणेशजी की पूजा करने किसी विशेष विधि-विधान की आवश्यकता नहीं होती है। मंत्रोपचार करते हुए स्थापना कर सकते हैं इसके अलावा प्रतिदिन दिनचर्या के अनुसार आरती उतारना चाहिए। यही पूजा का नियम है।

गणेश चतुर्थी पूजा सामग्री

गणेश जी की मूर्ति, पूजा के लिए चौकी, लाल या पीला कपड़ा, कलश, गंगाजल, कुमकुम, हल्दी, मौली, अक्षत, सुपारी, लौंग,  इलाइची, पान, दूर्वा,  पंचामृत, आम के पत्ते, सिंदूर, लाल फूल, जनेऊ, नारियल, घी, कपूर, चंदन, मोदक या  बेसन के लड्‌डू, सुपारी, पंचमेवा, धूप।

गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना की विधि

गणेश चतुर्थी के दिन स्नान आदि के बाद स्वच्छ पीले या लाल रंग के कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें।
मूर्ति स्थापना वाली जगह पर गंगाजल छिड़कें। उत्तर-पूर्व दिशा में पूजा की चौकी रखें और उस पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं। चौकी पर थोड़े से चावल रखकर शुभ मुहूर्त में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। गणपति के दहीने ओर कलश की स्थापना करें। कलश में जल, आम के पत्ते, सिक्का, अक्षत डालें और ऊपर से नारियल रखकर उस पर मौली बांध दें।
रोली, मौली, हल्दी, सिंदूर, अक्षत, चंदन, अबीर, गुलाल, मेहंदी, लाल पुष्प , लौंग, इलायची, पान का पत्ता, नारियल अर्पित करें। बप्पा के साथ कलश की भी पूजा करें। बप्पा को जनेऊ पहनाएं। 11 दूर्वा  जोड़े में बनाकर अर्पित करें। लड्‌डू या मोदक भोग लगाएं। गणेश चतुर्थी की कथा सुनें। गणेश चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। अंत में आरती कर, पुष्पांजलि करें और फिर सभी प्रसाद बांटें। इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं करना चाहिए।

गणेश चतुर्थी मूर्ति स्थापना मंत्र

गणेश जी का स्थापना मंत्र

अस्य प्राण प्रतिषठन्तु अस्य प्राणा: क्षरंतु च।

अस्यै देवत्वमर्चार्यै मामहेति च कश्चन

ऊं सिद्धि-बुद्धि सहिताय श्री महागणाधिपतयें नम:।

सुप्रतिष्ठो वरदो भव।।

गणपति पूजा मंत्र

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

 

 

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