
नई दिल्लीः मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में एनआईए की विशेष अदालत से स्वामी असीमानंद समेत सभी 5 आरोपियों के बरी हो जाने से विपक्ष ने भाजपा पर निशाना साधा है। कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इसको लेकर एनआईए को लपेटे में लिया है। ओवैसी ने एनआईए को बहरा और अंधा तोता करार देते हुए मामले में राजनीति दखल का आरोप लगाया। दूसरी तरफ कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी इस पर सवाल उठाए।
गौरतलब है कि 18 मई 2007 को हुए धमाके में 9 मारे गए थे जबकि 58 घायल हुए थे। बाद में प्रदर्शनकारियों पर हुई पुलिस फायरिंग में भी कुछ लोग मारे गए थे। आपको बता दें कि एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी। आपको बता दें कि इस मामले में 10 आरोपियों में से आठ लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी। कोर्ट ने अपने फैसले में सभी पांच आरोपी देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, स्वामी असीमानंद उर्फ नबा कुमार सरकार, भारत मोहनलाल रत्नेश्वर उर्फ भारत भाई और राजेंद्र चौधरी को कोर्ट ने बरी करने का फैसला सुनाया।
पूर्व गृह मंत्री को भाजपा नेता स्वामी ने लिया निशाने पर
भाजपा नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में ‘भगवा आतंकवाद’ शब्द गढ़ने को लेकर पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम को निशाने पर लिया। उन्होंने चिदंबरम पर मामला दर्ज करने की मांग की है। सभी आरोपियों के बरी होने के बाद एनआईए भी सवालों के घेरे में हैं। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि आखिर ब्लास्ट के पीछे फिर कौन था और इसमें मारे गए 9 लोगों की हत्या का असली गुनहगार कौन है। ओवैसी ने ट्वीट कर लिखा है कि एनआईए की इसमें कमी है। उसने मामले में सही पैरवी नहीं की है। उन्होंने कहा कि जून 2014 के बाद मक्का मस्जिद ब्लास्ट मामले में अधिकतर गवाह अपने बयान से पलट गए। एनआईए ने मामले की पैरवी उम्मीद के मुताबिक नहीं की या फिर ‘राजनीतिक मास्टर’ द्वारा उन्हें ऐसा करने नहीं दिया गया।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस ने एनआईए की जांच पर सवाल उठाए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि सभी जांच एजेंसी केंद्र सरकार की कठपुतली बन गई है। इस मामले की जांच कोर्ट की निगरानी में हो। उन्होंने कहा कि एनआईए भाजपा सरकार के अंदर काम करती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि वह ट्रायल कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। यहां आगे फिर से अपील की जा सकती है। इस मामले में दर्जनों गवाह अपने बयान से मुकर गए। इस पर सवाल तो खड़े होते ही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए। ओवैसी का सवाल पर चिंता तो पैदा करता ही है।