
राम एक ऐसा नाम जिसकी महिमा का वाल्मीकि से लेकर तुलसीदास तक सबने बखान
किया है। सार सभी का एक है, अर्थ एक है, कथा एक है, बस कहने का तरीका
अपना-अपना है। राम नाम को अपने आप में संपूर्ण मंत्र तक माना गया है। ऐसा
कहा जाता है कि राम के नाम को लेने मात्र से कई ऐसे कार्य हो जाते है जो
किसी वजह से रुके हुए हो, राम के नाम की महिमा ही ऐसी है।
श्रीराम नाम की महिमा
“चहुँ जुग तीनि काल तिहुँ लोका। भए नाम जपि जीव बिसोका।।
बेद पुरान संत मत एहु। सकल सुकृत राम सनेहु।।” (बालकांड, दोहा – 26/चौपाई-1)
अर्थ – चारों युगों में, तीनों कालों में और तीनों लोकों में, राम के नाम को जप कर जीव शोक रहित हुए हैं। वेद, पुराण और संतों का मत यही है कि समस्त पुण्यों का फल श्रीरामजी (या राम नाम) में प्रेम होना है।
अपने आप में संपूर्ण मंत्र
तुलसीदास ने बालकांड में राम नाम की महिमा का बखान किया है। राम शब्द को कई ग्रंथों ने संपूर्ण मंत्र तक माना है। राम नाम ग्रंथों में सबसे छोटा और सबसे सटीक मंत्र कहा गया है। ये इतना आसान है कि प्राचीन काल से राम शब्द भारतीय संस्कृति में अभिवादन करने के लिए भी उपयोग किया जाता है। स्वर विज्ञान कहता है, दीर्घ स्वर में राम शब्द का उच्चारण करने से शरीर पर वैसा ही असर पड़ता है, जैसा ऊँ के उच्चारण से होता है।