सुंदरवन में अब बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के किसी बोट को नहीं मिलेगा एनओसी

दक्षिण 24 परगना जिला परिषद का बड़ा निर्णय एनओसी जारी करने की प्रक्रिया नवंबर से शुरू होगी
दक्षिण 24 परगना जिला परिषद की सभाधिपति नीलीमा मिस्त्री विशाल
दक्षिण 24 परगना जिला परिषद की सभाधिपति नीलीमा मिस्त्री विशाल
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राम बालक, सन्मार्ग संवाददाता

काकद्वीप : सुंदरवन की जलपथ पर पर्यटकों को घुमाने वाली सभी बोटों को अब "नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट" (एनओसी) पाने के लिए पहले फिटनेस सर्टिफिकेट (सीएफ) अनिवार्य रूप से प्राप्त करना होगा। दक्षिण 24 परगना जिला परिषद ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक किसी बोट को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा, तब तक उसे एनओसी जारी नहीं किया जाएगा। अब तक की व्यवस्था में पहले एनओसी मिल जाती थी और बाद में फिटनेस सर्टिफिकेट की प्रक्रिया पूरी होती थी, लेकिन अब इसमें सख्ती लाई जा रही है। जिला परिषद जल्द ही एक एजेंसी को नियुक्त करने जा रही है, जो बोटों का तकनीकी परीक्षण कर उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करेगी। बोट मालिकों को पहले यह फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त कर जिला परिषद से एनओसी के लिए आवेदन करना होगा। इसके बाद एनओसी प्राप्त कर, सुंदरवन टाइगर रिजर्व (एसटीआर) से बोट लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा। जिन बोटों को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा, उन्हें न तो एनओसी मिलेगा, न ही वे लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकेंगी। सूत्रों के अनुसार, एनओसी जारी करने की प्रक्रिया नवंबर से शुरू होगी। इसके पहले, अक्टूबर महीने के भीतर सभी बोट मालिकों को अपनी बोट का परीक्षण कराना अनिवार्य किया गया है। एजेंसी द्वारा बोट के इंजन की स्थिति, संरचना, भार उठाने की क्षमता आदि की जांच की जाएगी। यदि किसी भी पहलू में कमी पाई जाती है, तो फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा। हाल के दिनों में पर्यटकों ने कई बोटों को लेकर शिकायतें की हैं, जिनकी जानकारी जिला प्रशासन तक भी पहुंची है। इसके अलावा, एसटीआर की ओर से भी एनओसी जारी करने के नियमों को सख्ती से लागू करने का सुझाव दिया गया है।

पर्यटकों की सुरक्षा सर्वोपरि, सुंदरवन की नाव सेवाओं की हो रही जांच

दक्षिण 24 परगना जिला परिषद की सभाधिपति नीलीमा मिस्त्री विशाल ने कहा, "पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही यह निर्णय लिया गया है। सुंदरवन की सैर के लिए हर साल हजारों पर्यटक आते हैं, ऐसे में उनकी सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। परिवहन विभाग के इंजीनियरों की मदद ली जा रही है। जिले में बोटों की संख्या करीब 650 से अधिक है।"

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