

नेहा, सन्मार्ग संवाददाता
कोलकाता : यात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए कोलकाता एयरपोर्ट पर किसी भी समय कम से कम चार CPR प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी तैनात रहेंगे। यह कदम आपातकालीन स्थितियों में यात्रियों को समय रहते चिकित्सा सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) एक आपातकालीन चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसमें छाती पर दबाव (chest compressions) और मुंह से सांस (rescue breaths) देकर किसी व्यक्ति को पुनर्जीवित करने की कोशिश की जाती है, जब उसकी धड़कन रुक जाती है या वह सांस नहीं ले रहा होता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मस्तिष्क और अन्य आवश्यक अंगों में ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह बनाए रखना होता है, जब तक कि पेशेवर चिकित्सा सहायता उपलब्ध न हो जाए।
हाल ही में हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम में एयरपोर्ट पर कार्यरत 510 से अधिक कर्मियों को CPR का प्रशिक्षण दिया गया। इनमें एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI), इमिग्रेशन विभाग, घरेलू व अंतरराष्ट्रीय कार्गो अधिकारी, CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल) के अधिकारी, एयरलाइन स्टाफ आदि शामिल थे। इस प्रशिक्षण का आयोजन एयरपोर्ट हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (APHO) की ओर से किया गया था।
प्रशिक्षण के दौरान, कुछ यात्रियों को भी भाग लेने का मौका दिया गया जिनके पास समय था। यह पहल सिर्फ कर्मचारियों को नहीं बल्कि आम नागरिकों को भी इस जीवनरक्षक तकनीक से अवगत कराने की दिशा में एक प्रभावी कदम है।
कोलकाता एयरपोर्ट के निदेशक डॉ पी. आर. बेउरिया ने कहा, "इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य था कि एयरपोर्ट से जुड़े सभी हितधारकों और यात्रियों में CPR जैसी जीवनरक्षक स्किल के प्रति जागरूकता बढ़े। आपात स्थिति में यह कौशल कई लोगों की जान बचा सकता है।"
कार्यक्रम के तहत CPR पर आधारित डेमोंस्ट्रेशन और हाथों से अभ्यास (हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग) भी करवाई गई। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय आगमन टर्मिनल (International Arrival Terminal) पर एक समर्पित CPR कियोस्क स्थापित किया गया है, जहां यात्री आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, करीब 5,000 यात्रियों के बीच CPR संबंधी पर्चे (leaflets) भी वितरित किए गए।
APHO कोलकाता के पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. अनुप सिंह ने कहा, "तत्काल CPR देने से दिल का दौरा पड़ने के बाद किसी व्यक्ति के जीवित बचने की संभावना तीन गुना तक बढ़ जाती है। इसके अलावा, यह मस्तिष्क को नुकसान और लंबी अवधि की विकलांगता के खतरे को भी कम करता है।"
उन्होंने आगे कहा कि इस प्रकार की जागरूकता पहल से न सिर्फ एयरपोर्ट स्टाफ बल्कि यात्री भी जीवनरक्षक कौशल से लैस होते हैं, जिससे आपातकालीन परिस्थितियों में तेजी से हस्तक्षेप संभव हो पाता है।
इस पहल से कोलकाता एयरपोर्ट पर यात्रियों को एक अतिरिक्त सुरक्षा का एहसास होगा कि अगर कभी किसी को हार्ट अटैक जैसी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़े, तो वहां प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी तुरंत सहायता के लिए उपलब्ध रहेंगे।
अधिकारियों का मानना है कि भविष्य में भी इस प्रकार के प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे ताकि हवाई अड्डे पर मौजूद हर व्यक्ति संकट की स्थिति में पहला उत्तरदाता (First Responder) बन सके।
इस प्रकार की पहलकदमी से यह स्पष्ट है कि कोलकाता एयरपोर्ट यात्रियों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोपरि मानते हुए आधुनिक और मानवीय दृष्टिकोण को अपनाने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा है।