बंगाल में 707 हाथी, पहली DNA-आधारित जनगणना से हुआ खुलासा

2017 के 682 से बढ़ोतरी - दक्षिण बंगाल का आंकड़ा हो सकता है कम
बंगाल में 707 हाथी, पहली DNA-आधारित जनगणना से हुआ खुलासा
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नेहा, सन्मार्ग संवाददाता

कोलकाता : बंगाल में देश की कुल हाथी आबादी का लगभग 3% हिस्सा रहता है। भारत में कुल 22,446 हाथी हैं, जिनमें से बंगाल में 707 पाए गए हैं — उत्तर बंगाल में 676 (541 से 812 के बीच) और दक्षिण बंगाल में 31 (22 से 41 के बीच)। यह पहली DNA-आधारित हाथी जनगणना है जो भारत में हुई है। पिछली जनगणना 2017 में बंगाल की संख्या 682 थी।

बंगाल राज्य हाथी संख्या के मामले में सातवें स्थान पर है, जिसमें कर्नाटक (6,013), असम (4,159), तमिलनाडु (3,136), केरल (2,785), उत्तराखंड (1,792) और ओडिशा (912) इसके आगे हैं।

केंद्र सरकार और वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (WII) द्वारा जारी All-India सिंक्रोनाइज्ड हाथी जनगणना रिपोर्ट में पूरे देश में हाथियों की संख्या 2017 के 29,000 से घटकर 22,446 (2021-25 के बीच) आंकी गई है।

उत्तर बंगाल में हाथियों की संख्या 2017 के 488 से लगभग 40% बढ़कर अब 676 हो गई है। जबकि दक्षिण बंगाल में हाथी आबादी 2017 के 194 से घटकर केवल 31 रह गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि दक्षिण बंगाल का आंकड़ा कम आंका गया हो सकता है।

उत्तर बंगाल की आबादी नॉर्थईस्ट (NE) हिल्स क्षेत्र के अंतर्गत आती है, जबकि दक्षिण बंगाल के हाथी सेंट्रल इंडिया-ईस्टर्न घाट्स क्षेत्र के तहत हैं।

जब पूछा गया कि दक्षिण बंगाल में संख्या इतनी कम क्यों है जबकि हाथियों से संघर्ष बढ़ रहा है, WII के निदेशक गोबिंद भारद्वाज ने कहा कि उन्होंने सभी राज्यों के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन को रिपोर्ट भेज दी है और जब उनकी प्रतिक्रिया मिलेगी तब अधिक सटीक अनुमान दिया जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले आंकड़ों से तुलना करना सही नहीं क्योंकि पूर्व की जनगणना में अलग-अलग तरीके अपनाए गए थे। यह DNA-आधारित अध्ययन नया बेसलाइन है।

WWF-India के हाथी कार्यक्रम के प्रमुख अरित्र क्षेत्री ने कहा, "दक्षिण बंगाल और झारखंड के आंकड़े कम हो सकते हैं, लेकिन यह पद्धति सही दिशा में एक कदम है। जैसे-जैसे पद्धति मजबूत होगी, आंकड़े स्पष्ट होंगे। ठीक वैसे ही जैसे टाइगर जनगणना में पुरानी पैगमार्क विधि से कैमरा ट्रैप्स पर बदलाव हुआ।"

नॉर्थईस्ट क्षेत्र में कुल 6,559 हाथी हैं, जिसमें असम में सबसे ज्यादा 4,159 और मेघालय में 677 हैं। उत्तर बंगाल में इस क्षेत्र में तीसरी सबसे बड़ी आबादी है।

इस जनगणना में देश के जंगलों को 100 वर्ग किलोमीटर के ब्लॉकों में बांटा गया और फिर 4 वर्ग किलोमीटर के ग्रिड्स में विभाजित किया गया।

2017 में हाथियों की संख्या का अनुमान प्रत्यक्ष दर्शन, जल स्रोतों पर गिनती और मल के सड़ने की दर से लगाया गया था। इस बार डीएनए आधारित 'जीनटिक मार्क-रिकैप्चर' विधि अपनाई गई, जिसमें हाथियों के मल के नमूने लेकर उनकी पहचान की गई और जनसंख्या का आकलन किया गया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि डूअर्स क्षेत्र, जो नॉर्थईस्ट भारत और पड़ोसी देशों को पेनिनसुलर भारत से जोड़ता है, में विकास कार्यों के कारण निवास स्थान टूट रहे हैं और हाथियों की आवाजाही सीमित हो रही है।

दक्षिण बंगाल में जंगलों के विखंडन और हाथियों के लिए पर्याप्त भोजन न होने की समस्या को भी रिपोर्ट में आगाह किया गया है।

रिपोर्ट में देरी के कारण के बारे में बताया गया कि 2023 में नॉर्थईस्ट से जुटाए गए आंकड़े सीमित थे, इसलिए यह कार्य दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच दोबारा किया गया।

बंगाल की मुख्य बातें :

  • उत्तर बंगाल में समूह का औसत आकार : 8.9

  • वयस्क मादा और युवा का अनुपात : 3 : 1

  • वयस्क मादा और वयस्क नर का अनुपात : 2 : 1

  • उत्तर बंगाल के खतरे : आवासीय विखंडन, संघर्ष

  • दक्षिण बंगाल के खतरे : विखंडित जंगल, भोजन की कमी, संघर्ष

  • बंगाल में ट्रेल्स की संख्या : 786

  • ट्रेल्स की लंबाई : 4,011 किलोमीटर

  • सर्वे किए गए प्लॉट्स की संख्या : 2,174

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