नयी दिल्ली : लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के प्रावधान वाला 128वां संविधान संशोधन विधेयक गुरुवार को राज्यसभा में करीब 11 घंटे की चर्चा के बाद सवैसम्मति से पारित हो गया। विधेयक के पक्ष में 214 सदस्यों ने वोट किया जबकि विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। दोनों सदन अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गयी।
इससे पहले महासचिव पीसी मोदी ने सदस्यों को वोटिंग की प्रक्रिया समझाई। अब इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जायेगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इस विधेयक का नाम ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ हो जायेगा। लोकसभा से इस विधेयक को बुधवार को ही मंजूरी मिल चुकी थी। इससे पहले पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने अपनी-अपनी बात रखी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस दौरान राज्यसभा में मौजूद ये।
कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने विधेयक को पेश करते हुए कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तीकरण से संबंधित विधेयक है। इसके कानून बन जाने के बाद 543 सदस्यों वाली लोकसभा में महिला सदस्यों की मौजूदा संख्या (82) से बढ़कर 181 हो जायेगी। इसके पारित होने के बाद विधानसभाओं में भी महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित हो जायेगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लागू करने के लिए जनगणना और परिसीमन की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि जैसे ही यह विधेयक पारित होगा तो फिर परिसीमन का काम निर्वाचन आयोग तय करेगा।
महिला सांसदों ने किया संचालन : विधेयक पर चर्चा के दौरान महिला सांसदों ने सदन का संचालन किया। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने पीटी उषा, जया बच्चन (सपा), फौजिया खान (राकांपा), डोला सेन (तृणमूल कांग्रेस) और कनिमोई एनवीएन सोमू (द्रमुक) सहित कई महिला सांसदों को उपाध्यक्ष नियुक्त किया। इन महिला सांसदों ने चर्चा के दौरान बारी-बारी से सदन की कार्यवाही का संचालन किया। राज्यसभा में विधेयक पर चर्चा के लिए साढ़े सात घंटे का समय दिया गया था साथ ही भोजनावकाश का समय समाप्त कर दिया गया था।
आपको पहले से पता था – उपराष्ट्रपति से खड़गे : सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा यह विधेयक आने वाला आने वाला है हमें इसकी जानकारी पहले से नहीं थी लेकिन सभापति को पहले से पता था। आपने 4 सितंबर को जयपुर में कहा था कि वो दिन दूर नहीं जब देश की संसद और विधानसभाओं में महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिलेगा। उन्होंने कहा कि अमित शाह ने पहले कहा था कि 2 करोड़ नौकरियां देंगे, 15-15 लाख सबके खाते में देंगे। बाद में कहा किये तो चुनावी जुमला था।
नड्डा-खड़गे में बहस : मेघवाल के विधेयक पेश करने के बाद कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने चर्चा की शुरुआत की। उन्होंने विधेयक के नाम पर आपत्ति जताते हुए कहा कि महिलाओं को वंदन नहीं, समानता चाहिए। इसके बाद भाजपा के अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यह महिलाओं पर अहसान नहीं बल्कि उनका वंदन और अभिनंदन है। वहीं खड़गे ने कबीर का दोहा ‘काल करे सो, आज कर’ सुनाया और तुरंत आरक्षण लागू करने की मांग की।
नड्डा ने जवाब दिया कि भाजपा का उद्देश्य राजनीतिक फायदा लेने का नहीं है। सरकार नियमों से काम करती है और पक्का काम करने में विश्वास रखती है। इस पर विपक्षी सांसद ‘नो-नो’ करने लगे तो नड्डा ने कहा कि कि ‘नो-नो’ करने वालों को शासन करना नहीं आया। अगर शासन करना आता तो पता होता कि नियम-कानून भी कोई चीज है।