
नई दिल्लीः ओमिक्रॉन वैरिएंट और कोरोना ने दुनिया भर में तबाही मचा के रख दी है। इसकी वजह से दुनियाभर के हेल्थ सिस्टम पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ रहा है। डब्लयूएचओ चीफ टेड्रोस गेब्रेयेसस ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए दुनिया को चेताया है कि ओमिक्रॉन की वजह से दुनिया भर में लोगों की जान जा रही है। इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। हालांकि कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि ओमिक्रॉन कोरोना के दूसरे वैरिएंट के मुकाबले कम घातक है। डब्लयूएचओ चीफ टेड्रोस ने कहा है कि ओमिक्रॉन दुनियाभर में लोगों की जान ले रहा है। वैक्सीनेटेड लोगों के लिए ओमिक्रॉन डेल्टा के मुकाबले कम खतरनाक साबित हो रहा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसे हल्के में लेना चाहिए। पिछले वैरिएंट की तरह ही ओमिक्रॉन लोगों को अस्पताल में भर्ती कर रहा है और मार रहा है। टेड्रोस ने कहा कि नया वैरिएंट रिकॉर्ड संख्या में लोगों को संक्रमित कर रह है। ये कई देशों में पिछले वैरिएंट डेल्टा से भी तेजी से फैल रहा है। कोरोना मामलों की सुनामी इतनी बड़ी और तेज है कि दुनियाभर के हेल्थ सिस्टम को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
- प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डब्लयूएचओ चीफ ने वैक्सीन के असमान वितरण को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने वैक्सीन के लिए अमीर देशों के लालच पर कहा- वैक्सीन का सही तरीके से डिस्ट्रीब्यूशन न होना पिछले साल सबसे बड़ी कमी रही। कुछ देशों में जहां जरूरत से ज्यादा हेल्थ सुविधाएं थीं, वहीं कुछ देश कमियों का सामना कर रहे हैं।
- डब्लयूएचओ चाहता था कि हर देश सितंबर 2021 तक अपनी 10% और दिसंबर 2021 तक 40% आबादी को वैक्सीन दे दे, लेकिन 194 देशों में से 92 देश तय किए गए टारगेट से चूक गए। इसका एक बड़ा कारण वैक्सीन की कमी थी। अब हमारा लक्ष्य है कि 2022 में जून-जुलाई तक हर देश में 70% वैक्सीनेशन कम्प्लीट हो जाए। वैक्सीन रोल-आउट बिगड़ने से 109 देश फिर से इस टारगेट से पीछे रह जाएंगे।
- डब्लयूएचओ की मारिया वान केरखोव ने कहा- इस बात की बहुत कम संभावना है कि ओमिक्रॉन के बाद कोरोना महामारी खत्म हो जाएगी। महामारी से बचने के लिए हमें और ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। मैं यह देखकर हैरान हूं कि लोग कितनी लापरवाही से फेस मास्क पहन रहे हैं। इससे नाक और मुंह ढंकना पड़ता है। ठुड्डी के नीचे मास्क पहनना बेकार है।
- डब्लयूएचओ में क्लिनिकल मैनेजमेंट की हेड जेनेट डियाज ने कहा है कि शुरुआती रिसर्च से पता चला है कि डेल्टा के मुकाबले ओमिक्रॉन से हॉस्पिटल में एडमिट होने का खतरा कम रहता है। हालांकि ओमिक्रॉन को लेकर अब तक जितना भी रिसर्च डेटा मिला है, वह युवाओं से इकट्ठा किया गया है। बुजुर्गों के लिए यह वैरिएंट कितना खतरनाक है, इस पर और रिसर्च होना है।