
कोलकाताः आज सातवां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। बता दें कि हर साल 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। साल 2015 से ही इसे वैश्विक तौर पर मनाने की शुरुआत की गई। शरीर की क्रियाशीलता को बढ़ाने और बेहतर सेहत के लिए योग करना बेहद महत्वपूर्ण है। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत धातु ‘युज’ से हुई है जिसका मतलब व्यक्तिगत चेतना होता है। बताया जाता है योग का इतिहास 26 हजार साल पुराना है। कहा जाता है कि योग के जनक महर्षि पतंजलि ही हैं जिन्होंने आस्था, धर्म और अंधविश्वास से अलग हटाकर योग की व्याख्या की। आइए जानते हैं विस्तार से –
योग दिवस का इतिहास: अपने पहले ही कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने की पेशकश की। 2014 में 27 सितंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण में पीएम मोदी की अपील के बाद अमेरिका ने इसे मनाने का प्रस्ताव पास किया। फिर करीब 90 दिनों के भीतर ही अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव 177 देशों में पारित किया गया।
पहला योग दिवस: 21 जून 2015 को पूरे विश्व में पहली बार अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया जिसमें करीब 36 हजार लोग शामिल हुए थे। साथ ही, लगभग 84 देशों के प्रतिनिधियों ने भी योग के 21 आसन किये। इस कोरोना काल में स्वस्थ रहने में योग ने अहम भूमिका निभाई है। ऐसे में ये कहना कतई गलत नहीं होगा कि वर्तमान समय में लोगों की रुचि योग के प्रति अधिक हुई है और व्यापक तौर पर लोग इसे अपना रहे हैं।
21 जून को ही क्यों मनाया जाता है योग दिवस: छह साल पहले 2015 में पहली बार मनाए गए योग दिवस को हर साल 21 जून को ही मनाया जाता है। विशेषज्ञ इसकी वजह भारतीय संस्कृति को मानते हैं। 21 जून ही वो दिन है जिसे साल का सबसे बड़ा दिन माना जाता है। इस दिन सूर्योदय जल्दी होता है और सूर्यास्त होने में अधिक समय लगता है। कहा जाता है कि ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। यही कारण है कि योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है।
कोरोना काल में योग दिवस: पिछले करीब डेढ़ साल से दुनिया भर में कोरोना का कहर जारी है। मेडिकल एक्सपर्ट्स, सरकार, योग गुरु और आयुर्वेद सभी ने इस दौर में लोगों को सुरक्षित रहने के लिए योग करने की सलाह दी है। ऐसे में योग दिवस पर लोग अपने घरों में ही योगाभ्यास कर सकते हैं। वो चाहें तो सोशल मीडिया पर अपनी फोटोज और वीडियोज शेयर कर सकते हैं।