नयी दिल्ली : रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि भारतीय रेल के निजीकरण का प्रश्न ही नहीं उठता। उन्होंने विपक्ष को फर्जी विमर्श गढ़ने के विरुद्ध आगाह किया। उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने निजीकरण होने का विमर्श बनाने की कोशिश की। कृपया फर्जी विमर्श बनाने की कोशिश मत करिए। आपका संविधान वाला फर्जी विमर्श विफल हो चुका है। अब कोई फर्जी विमर्श नहीं गढ़ें। लोकसभा में ‘रेल (संशोधन) विधेयक, 2024’ पर चर्चा का जवाब देते उन्होंने कहा कि भारतीय रेल का पूरा ध्यान गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों पर है। रक्षा और रेलवे दो ऐसे विषय हैं, जिन्हें राजनीति से दूर रखकर इन्हें आगे बढ़ाने की जरूरत है। विधेयक पर गत 4 दिसंबर को सदन में चर्चा में भाग लेते हुए कई विपक्षी दलों के सदस्यों ने सरकार पर रेलवे के निजीकरण की दिशा में बढ़ने का आरोप लगाया था। चर्चा में 72 सांसदों ने भाग लिया था। पिछले कई दिन से विभिन्न मुद्दों पर सदन में गतिरोध के कारण रेल मंत्री का जवाब नहीं हो सका था। बुधवार को रेल मंत्री वैष्णव के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से ‘रेल (संशोधन) विधेयक, 2024’ को पारित कर दिया।
क्यों लाया गया यह विधेयक: वैष्णव ने कहा कि कानूनी ढांचे में सरलीकरण के लिए यह विधेयक लाया गया है। रेलवे बोर्ड का कानून 1905 में बना था। 1905 और 1989 के रेलवे संबंधी कानूनों की जगह एक ही कानून होता है तो आसानी होती है। रेलवे अधिनियम 1989 में भारतीय रेलवे बोर्ड अधिनियम 1905 को एकीकृत करने के लिए यह विधेयक लाया गया है।
58,642 रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जारी : उन्होंने कहा कि युवाओं को रेलवे में अवसर देने के उद्देश्य से इस समय 58,642 रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया चल रही है। वैष्णव ने देश में रेलवे भर्ती परीक्षाओं का जिक्र करते हुए कहा कि बिना किसी प्रश्नपत्र लीक की शिकायत के सुगमता से ये परीक्षाएं हो रही हैं और दशकों पुरानी मांग के अनुरूप वार्षिक कलैंडर के हिसाब से भर्ती होती है। संप्रग सरकार के समय 4,11,000 लोगों को नौकरी मिली थी, जबकि मोदी सरकार में 5,02,000 युवाओं की भर्ती रेलवे में की गई है।
रेलवे की दस साल की उपलब्धियां गिनाईं : वैष्णव ने मोदी सरकार के दौरान रेलवे के लिए किये गये और जारी कार्यों को गिनाते हुए कहा कि 12,000 नए सामान्य कोच बनाए जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि हर ट्रेन में जनरल डिब्बे ज्यादा हों। 1.23 लाख किलोमीटर लंबी पुरानी पटरियों को बदला गया है। पिछले 10 वर्षों में 2,000 फ्लाईओवर और अंडरपास बनाए गए हैं, जो संप्रग सरकार की तुलना में तीन गुना हैं। गत 10 वर्षों में रेलगाड़ियों में 3.10 लाख नए शौचालय बनाए गए हैं। ‘वंदे भारत’ ट्रेन ‘आत्मनिर्भर भारत’ की पहचान बन गई है। 60 वर्षों में विद्युतीकरण 21 हजार किलोमीटर में हुआ था, लेकिन 10 वर्षों में यह 44 हजार किलोमीटर में हुआ है। सरकार से पहले रेलवे का बजट 25-30 हजार करोड़ रुपये का होता था, लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में उसे बढ़ाकर 2.52 लाख करोड़ रुपये किया गया है। इन 10 वर्षों में 31 हजार किलोमीटर नयी पटरियां बिछाई गई हैं। 15 हजार किलोमीटर रेलवे पटरियों पर रेल सुरक्षा प्रणाली ‘कवच’ का काम हुआ है। कश्मीर से शेष भारत को जोड़ने के लिए परियोजना पर परीक्षण आदि का काम पूरा हो चुका है और अगले चार महीने में इस पर रेलगाड़ी चलने लगेगी। देश में 1,300 स्टेशनों का पुनर्निर्माण का कार्य चल रहा है, जो दुनिया में रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास का बहुत बड़ा काम है।