सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, “जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए उठाएंगे हर जरूरी कदम”

नई दिल्ली: लोगों को जबरन उनका धर्मांतरण कराने की घटनाओं पर अब सरकार सख्त कदम उठाने वाली है। सुप्रीम कोर्ट में इस मसले को एक याचिका के जरिए उठाया गया है। धर्मांतरण पर रोक लगाने की मांग वकील अश्विनी उपाध्यय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर की। उनकी इसी याचिका पर अब केंद्र सरकार ने अपना जवाब यानी हलफनामा दाखिल किया है। सरकार ने अपने हलफनामे में कहा कि वो इस मसले की गंभीरता और इसको रोकने के लिए कानून की जरूरत को समझती है। सरकार ने यह भी कहा कि याचिका में रखी गई मांग को गंभीरता से लेते हुए जो जरूरी कदम उठाया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में केंद्र और राज्यों को डराने, धमकाने और प्रलोभन के जरिए धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने के लिए निर्देश देने की मांग की है। इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह भी आग्रह किया है कि वो भारत के विधि आयोग से एक रिपोर्ट तैयार करने और इस मसले पर एक विधेयक का मसौदा बनाने के लिए भी कहे।

धर्म परिवर्तन मौलिक अधिकार नहींअश्विनी कुमार ने अपनी याचिका में जिन उदाहरणों का जिक्र किया है, उन्हें केंद्र सरकार ने स्वीकार किया। केंद्र सरकार ने साफ किया कि समाज के कमजोर वर्गों की सेफ्टी के लिए ऐसे कानून का अस्तित्व में आना बहुत जरूरी है। केंद्र ने कहा कि याचिका में उठाए गए मुद्दे की गंभीरता से हम अवगत हैं। केंद्र ने पुष्टि की कि ‘धर्म की आजादी के अधिकार’ में किसी को भी किसी विशेष धर्म में परिवर्तित करने का मौलिक अधिकार शामिल नहीं है। इसने यह भी कहा कि ओडिशा, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा में जबरन धर्म परिवर्तन पर कानून है, क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य का सबसे बड़ा विषय है।

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