
नयी दिल्ली : सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने गुरुवार को अपने बयान में बीते दिनों बने नए नागरिकता कानून को लेकर हिंसक प्रदर्शनों के लिए छात्रों के नेतृत्व पर ऐतराज जताया है। उनके इस बयान की अब आलोचना शुरू हो गई है। आलोचकों में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और एआईएमआईएम के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी का नाम भी शामिल है। दोनों नेताओं ने ट्वीट के जरिए सेनाप्रमुख के बयान पर कटाक्ष किया है। एक ओर दिग्विजय ने रावत से सांप्रदायिक आधार पर हुई हिंसा को लेकर सवाल किया है। वहीं दूसरी ओर ओवैसी ने सेनाप्रमुख को नसीहत देते हुए अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहने के लिए कहा है।
नरसंहार के लिए भड़काने वाले नेता
कांग्रेस नेता सिंह ने विपिन रावत के बयान पर तंज कसते हुए उनसे सवाल पूछा है। उन्होंने कहा,’नागरिकता प्रदर्शन को लेकर सेना प्रमुख का कहना है कि वे लोग नेता नहीं जाे भीड़ को आगजनी के लिए भड़काए। जनरल साहब, मैं आपकी बात से सहमत हूं लेकिन उन्हें भी नेता नहीं कहा जा सकता जाे अपने समर्थकों को सांप्रदायिक आधार पर नरसंहार के लिए भड़काते हैं। जनरल साहब, क्या आप मेरी बात से सहमत हैं?’
मोदी सरकार को कमजोर बनाने वाला बयान
वहीं, एआईएमआईएम सांसद ओवैसी ने भी सोनाप्रमुख विपिन रावत के बयान पर तंज कसते हुए उन्हें अपने कार्यक्षेत्र तक सीमित रहने की सलाह दी है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘अपने कार्यालय के दायरे को जानना नेतृत्व है। नागरिकों के सर्वोच्चता के विचार को समझना और उस संस्थान की एकता को बनाए रखना जिसके आप प्रमुख हैं, वह भी नेतृत्व है।’ उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘रावत ने मोदी सरकार को कमजोर बनाने वाला बयान दिया है। देश के प्रधानमंत्री अपनी वेबसाइट पर लिखते हैं कि जब वे खुद एक छात्र थे तो उन्होंने आपातकाल के समय प्रदर्शन में हिस्सा लिया था। इस तरह सेनाध्यक्ष के बयान के मुताबिक यह भी सही कदम नहीं है।’