

उखरुल/ इंफाल : नगा राजनीतिक आंदोलन के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक, टी. मुइवा करीब 50 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद 22 अक्टूबर 2025 को अपने पैतृक गांव सोमदल (उखरुल जिला, मणिपुर) लौटने जा रहे हैं। 91 वर्षीय मुइवा के स्वागत में तंगखुल नगा समुदाय सहित पूरे क्षेत्र में उत्सव जैसा माहौल है। गांव में पोस्टर, होर्डिंग्स और पारंपरिक सजावट की जा रही है, जबकि छात्र संगठन, नागरिक समाज संगठन और चर्च मिलकर भव्य स्वागत समारोह की तैयारी में जुटे हैं।
टी. मुइवा का जन्म 1934 में सोमदल गांव में हुआ था। वे तंगखुल नगा जनजाति से संबंध रखते हैं, जो मणिपुर की सबसे बड़ी नगा जनजातियों में से एक है। मुइवा 1970 के दशक की शुरुआत में उग्रवाद का रास्ता अपनाते हुए अपने गांव से निकले थे। वे बाद में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (इसाक-मुइवा धड़ा – NSCN-IM) के महासचिव बने और नगा आत्मनिर्णय आंदोलन का प्रमुख चेहरा बनकर उभरे।
मुइवा वर्तमान में NSCN (IM) के शीर्ष नेता हैं और 1997 में भारत सरकार के साथ हुए संघर्ष विराम समझौते के बाद से नगा शांति वार्ता में मुख्य वार्ताकार की भूमिका निभा रहे हैं। वे अभी नगालैंड के दीमापुर में रहते हैं, जो NSCN (IM) का मुख्यालय भी है।
अधिकारियों के अनुसार:
बुधवार (22 अक्टूबर) को मुइवा हेलीकॉप्टर से दीमापुर से उखरुल जिला मुख्यालय पहुंचेंगे।
तंगखुल नगा समुदाय के लोग पारंपरिक पोशाकों में उनका भव्य स्वागत करेंगे।
उखरुल में एक औपचारिक कार्यक्रम के बाद मुइवा सड़क मार्ग से अपने पैतृक गांव सोमदल जाएंगे।
मुइवा एक सप्ताह तक गांव में रुक सकते हैं, इसके बाद वे दीमापुर लौट जाएंगे।
गौरतलब है कि मुइवा ने 2010 में भी सोमदल गांव लौटने का प्रयास किया था, लेकिन उस समय तत्कालीन कांग्रेस सरकार (मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह) ने उन्हें राज्य में प्रवेश करने से रोक दिया था। इस रोक के खिलाफ नगाओं ने तीव्र विरोध प्रदर्शन किया था, जिससे राज्य में तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
हालांकि इस बार, मुइवा की यात्रा को विभिन्न समुदायों कुकी, जोमी और मेइती के संगठनों का भी समर्थन मिला है। यह मणिपुर जैसे संवेदनशील राज्य में सांप्रदायिक सौहार्द और राजनीतिक समझदारी का संकेत माना जा रहा है, जो मई 2023 से जातीय हिंसा के दौर से गुजर रहा है, जिसमें अब तक 260 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
टी. मुइवा का नाम नगा आत्मनिर्णय आंदोलन का पर्याय बन चुका है। वे दशकों से भारत सरकार से "नागालिम" की राजनीतिक पहचान, स्वायत्तता, और संविधान के तहत विशेष दर्जे की मांग करते रहे हैं। हालांकि NSCN (IM) और केंद्र के बीच शांति वार्ताएं लंबे समय से चल रही हैं, लेकिन "नगा ध्वज" और "संविधान" को लेकर गतिरोध बरकरार है।
मुइवा की यह यात्रा न सिर्फ एक व्यक्तिगत वापसी है, बल्कि इसे नगा समुदाय की सांस्कृतिक जड़ों, आत्मसम्मान और ऐतिहासिक जुड़ाव की पुनर्स्थापना के रूप में भी देखा जा रहा है।
सोमदल गांव में घरों को पारंपरिक बांस और पत्तों से सजाया जा रहा है।
गांव की गलियों में पोस्टर और स्वागत होर्डिंग्स लगाए गए हैं।
स्थानीय युवाओं द्वारा नृत्य, संगीत और पारंपरिक परफॉर्मेंस की रिहर्सल की जा रही है।
चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं।
टी. मुइवा की यह यात्रा एक ऐतिहासिक क्षण है, जो न केवल मणिपुर में सांस्कृतिक और सामाजिक समरसता की नई संभावनाओं को जन्म दे सकती है, बल्कि भारत सरकार और नगा संगठनों के बीच विश्वास निर्माण की दिशा में भी अहम भूमिका निभा सकती है।