
नई दिल्ली : महंगाई की मार झेल रहे लोगों की जेब पर और बोझ बढ़ सकता है। खाने वाले तेल के दाम एक बार फिर से बढ़ने लगे हैं। पिछले दिनों सरसों और सूरजमुखी समेत खाने वाले अन्य तेल की कीमतों में गिरावट देखने को मिली थी। लेकिन दिल्ली तेल तिलहन बाजार में सरसों, मूंगफली और पामोलीन के भाव में तेजी देखने को मिली है।
कितना महंगा हुआ सरसों तेल
सरसों तेल के रेट की बात करें तो पिछले सप्ताह के मुकाबले इस हफ्ते के पहले दिन सोमवार को ही महंगा हो गया। बीते सप्ताह के आखिरी दिन सरसों कच्ची घानी तेल का भाव 2,405 – 2,510 रुपये पर प्रति टिन (15 किलो) पर बंद हुआ था। वहीं, इस सप्ताह सोमवार को यह 20 रुपये प्रति टिन महंगा होकर 2,425 – 2,530 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ। इसी तरह सरसों पक्की घानी तेल की कीमतों में भी 20 रुपये प्रति टिन की बढ़ोतरी हुई और यह 2,385-2,465 रुपये प्रति टिन हो गया। पिछले सप्ताह सरसों पक्की घानी तेल का भाव 2,365-2,445 पर बंद हुआ था। सरसों तेल दादरी भी 200 रुपये बढ़कर 15,300 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
आगे हो सकती है परेशानी
सरसों की अगली फसल आने में अभी लगभग साढ़े आठ महीने की देर है। इस वजह से आगे जाकर त्योहारों के समय सरसों की दिक्कत बढ़ेगी। सरकार को किसानों को प्रोत्साहन देकर तेल तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की पहल करनी होगी। शुल्क घटने और बढ़ने से कोई स्थायी समाधान निकलने की संभावाना कम है।
पाम तेल का आयात
भारत ने मई के महीने में 6,60,000 टन पाम तेल का आयात किया था। भारत दुनिया में सबसे ज्यादा पाम ऑयल इंपोर्ट करने वाला देश है। कुछ दिन पहले ही तेल बनाने वाली कंपनियों ने सरसों तेल की कीमतों में कटौती करने का ऐलान किया था। हालांकि, बढ़ती कीमतों को लेकर अभी तक कंपनियों की ओर से किसी भी तरह का बयान नहीं आया है। भारत अपनी जरूरत का 60 प्रतिशत से अधिक खाद्य तेल आयात करता है। भारत मुख्य रूप से अर्जेंटीना और ब्राजील से सोया तेल खरीदता है। इसी तरह यूक्रेन और रूस से सूरजमुखी तेल खरीदता है। यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का शिपमेंट फिलहाल बंद हो गया।