
नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबड़े को मुख्य न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। 18 नवंबर को राष्ट्रपति कोविंद न्यायाधीश एस. ए बोबड़े को देश के 47वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ दिलाएंगे। उन्हें अगला मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) नियुक्त करने के लिए मौजूदा मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सिफारिश की थी। बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। बोबड़े इस पद पर लगभग 18 महीने तक रहेंगे।
अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई में हैं शामिल
जस्टिस बोबड़े न्यायपालिका के शीर्ष पद को संभालने वाले सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं। आपको बता दें कि एस.ए. बोबड़े उस संविधान पीठ में शामिल हैं जो अयोध्या भूमि विवाद की सुनवाई कर रही है। उनके अलावा इस संवैधानिक पीठ में मौजूदा सीजेआई रंजन गोगोई, न्यायाधीश अशोक भूषण, न्यायाधीश नजीर और न्यायाधीश चंद्रचूड़ शामिल हैं। अयोध्या मामले में पीठ ने सुनवाई पूरी कर ली है और फैसला सुरक्षित रख लिया है।
बोबड़े ने कई एतिहासिक फैसले लिए हैं
न्यायाधीश एस.ए. बोबड़े कई ऐसी संविधानिक पीठ का हिस्सा रहे हैं, जिन्होंने कई एतिहासिक फैसले लिए हैं। आधार कार्य को लेकर जिस संविधानिक पीठ ने आदेश जारी किया था, उसमें बोबड़े भी शामिल थे। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आधार कार्ड नहीं होने पर किसी भी भारतीय नागरिक को सरकारी सब्सिडी और मूल सेवाओं से वंचित नहीं रखा जा सकता है। साथ ही वह पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित करने वाली पीठ का हिस्सा थे। उनके साथ इसमें पूर्व मुख्य न्यायाधीश टी.एस. ठाकुर और न्यायाधीश एके सीकरी भी शामिल थे।
साल 2000 में नियुक्त हुए थे न्यायाधीश
बोबडे का जन्म 24 अप्रैल 1956 में महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ था। उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से ही कानून की डिग्री ली। इसके बाद 2000 में बॉम्बे हाइकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। 2012 में उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला था। अप्रैल 2013 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति दी गई। जस्टिस बोबडे सीजेआई गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जांच के लिए बनी समिति में शामिल थे।