कोलकाताः कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर इतनी तेज है कि स्वास्थ्य सेवाएं सबको मुहैया नहीं हो पा रहीं। इसको लेकर अफरातफरी का माहौल है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि केवल 20 प्रतिशत क्रिटिकल मरीजों को ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है, जबकि अन्य 80 प्रतिशत मरीज होम आइसोलेशन में रह कर दिशा-निर्देशों का सही से पालन कर स्वस्थ हो सकते हैं। अगर लोग इस पर ध्यान दें और संयम बरतें तो बेहद गंभीर मरीजों को आसानी से बेड भी उपलब्ध हो सकेगा। जानें कैसे होम आइसोलेशन में कोरोना को दे सकते हैं मात।
- घर के अन्य सदस्यों से दूरी रखें और हवादार कमरे में रहें, जहां तक संभव हो खिड़कियां खुली रखें।
- अपने घरवालों से अलग शौचालय व बाथरूम काम में लें।
- हमेशा ट्रिपल लेयर मास्क पहनें और मास्क को 6 से 8 घंटे बाद बदलें। इसे पेपर बैग में लपेटकर 72 घंटे के बाद ही सामान्य डस्टबिन में डालें।
- हैंडवॉश व पानी से हाथों को 40 सेकेंड तक अच्छी तरह धोएं या 70 प्रतिशत एल्कोहल युक्त सैनेटाइजर का उपयोग करें।
- छींकते या खांसते समय रूमाल, टिश्यू या कोहनी से नाक-मुंह को ढंकें।
- ज्यादा छुई जानेवाली सतहों को छूने व उपकरणों का इस्तेमाल करने से बचें।
- मोबाइल व दैनिक उपयोग की अन्य चीजों को सैनेटाइज करें।
- अपने बर्तन, तौलिया, चादर आदि को अलग रखें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी, ताजा जूस, सूप जैसे तरल पदार्थ पीएं।
- अन्य रोग (शूगर, ब्लड प्रेशर आदि) का इलाज जारी रखें।
- आइसोलेशन के दौरान शराब, धूम्रपान व अन्य किसी नशीली चीज का सेवन बिल्कुल न करें तथा पालतू जानवरों से दूर रहें।
- डॉक्टर द्वारा दी गयी सलाह का पालन करें व नियमित दवाइयां लें।
- घर पर अतिथियों को न बुलाएं और न ही किसी से मिलें।
- स्कूल, बाजार, सार्वजनिक स्थान या सामाजिक व धार्मिक कार्यक्रम में न जाएं।
- बुखार अगर तीन दिनों से ज्यादा रह जाये या बार-बार आ रहा हो और कोविड-19 के नीचे दिये गये लक्षण दिखायी दें, तो डॉक्टर की सलाह लें।
- सांस लेने में कठिनाई, छाती में लगातार दर्द या दबाव
- मानसिक भ्रम होठों या चेहरे का नीला पड़ जाना
- बुजुर्गों, गर्भवती व बच्चे को रोगी से रखें दूर
- यदि परिवार में 60 साल से अधिक उम्र का कोई बुजुर्ग हैं या कोई गर्भवती है या छोटे बच्चे हैं या फिर किसी गंभीर बीमारी जैसे – कैंसर, अस्थमा, सांस की बीमारी आदि से ग्रसित हों तो उन्हें कोविड-19 के मरीज से दूर रखें।