
कुत्ते के भोज के आयोजन की कहानी बिल्कुल अनूठी है। केवलारी में भागवत कथा का आयोजन किया गया था। भागवत कथा के समापन पर कुछ दिन पहले भंडारे का आयोजन हुआ। भंडारे के दौरान गांव के रामजी अहिरवार ने कुत्तों को जूठी पत्तलें चाटते और लोगों को कुत्तों को दुत्कारते देखा। रामजी को यह अच्छा नहीं लगा। फिर दो-तीन दिन पहले वो ही दृश्य उन्हें सपने में आया तो उन्होंने कुत्तों को भोज देने की ठान ली। रामजी ने जब इस बारे में अन्य लोगों को बताया तो सभी ने उनकी इस पहल की खूब तारीफ की, बुधवार को सुबह रामजी ने गांव में जिन लोगों के यहां कुत्ते पले हैं उनके घर जाकर निमंत्रण दिया। शाम के समय दलित बस्ती में लोग अपने-अपने कुत्तों को भोजन कराने के लिए रामजी के यहां पहुंचे।
लोगों की मदद से पत्तल में कुत्तों को कराया भोजन
रामजी ने वहां लोगों की मदद से पत्तल डाल कर कुत्तों को भोजन कराया। इस दौरान करीब डेढ़ सौ कुत्तों को भोजन कराया गया। बस्ती में कुत्तों को भोजन कराने के अलावा रामजी ने आसपास के खेतों, खलिहानों और सड़क पर घूमने बाले कुत्तों को भी भोजन कराया।
5 साल से कर रहे हैं यह आयोजन
रामजी का कहना है कि कुत्ते जूठे पत्तल चाटते हैं और लोग उन्हें दुत्कारते हैं इसलिए हमने सोचा कि एक दिन कुत्तों के लिए भोज का आयोजन किया जाए। रामजी का कहना है कि वो हर साल कुत्तों के लिए भोज का आयोजन करते हैं। रामजी करीब पांच वर्ष से यह अनूठा आयोजन कर गांव के दो सौ कुत्तों को पकवान बनाकर भोजन करा रहे है।