नयी दिल्ली : संसद द्वारा हाल ही में पास कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का आज आठवां और अहम दिन है। किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। आज किसानों और सरकार के बीच फिर बातचीत होगी। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह मुलाकात करेंगे। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री कई सुझाव देंगे ताकि गतिरोध खत्म किया जा सके। 1 दिसंबर को सरकार ने पंजाब और उत्तर प्रदेश के किसानों से अलग-अलग बात की थी। वहीं किसान नेता आरोप लगा रहे हैं कि सरकार समाधान की जगह साजिश रच रही है। वह किसानों से अलग-अलग बैठक कर उन्हें बांटना चाहती है। किसानों ने फैसला लिया कि सरकार से अब अलग-अलग नहीं, एक साथ मुलाकात करेंगे।
दिल्ली बॉर्डर पर दूसरी बार किसान और सरकार की बातचीत
किसानों ने कृषि कानूनों पर आपत्तियों का 10 पन्नों का दस्तावेज तैयार किया है। मालूम हो कि आज किसानों की सरकार से चौथी और दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन शुरू करने के बाद दूसरी बातचीत होगी। संसद द्वारा पास नए कृषि कानून पर किसानों ने 5 बार और सरकार ने 2 बार बैठकें कीं।
किसानों की 5 प्रमुख मांगें
केंद्रीय कृषि कानूनों को तुरंत निरस्त किया जाना चाहिए। केंद्रीय समिति के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाएगा। एमएसपी हमेशा लागू होना चाहिए। 21 फसलों को इसका फायदा मिले। अभी तक किसानों को केवल गेहूं, धान और कपास पर एमएसपी मिलता है। आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार को केंद्र से आर्थिक मदद मिलेगी। वहीं, कुंडली बॉर्डर पर पहुंचे उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने बुधवार को पंजाब में संगठनों के साथ बैठक की। प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने कहा कि सरकार को कानूनों को खत्म करने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि 5 दिसंबर को देश भर में प्रदर्शन किए जाएंगे।