
चेन्नई : तमिलनाडु में एक अस्थि रोग विशेषज्ञ को आधी रात में फावड़ा उठाना पड़ गया क्योंकि उसे कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वाले अपने न्यूरोसर्जन मित्र को दफनाना था। दरअसल, डॉक्टर की अंत्येष्टि के लिए कई लोग आए थे लेकिन इसका विरोध कर रही भीड़ ने उन पर हमला कर दिया और सभी लोगों को शव को कब्रिस्तान में ही छोड़कर भागने को मजबूर होना पड़ा। लोग विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि उनके मुताबिक कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति का शव उनके क्षेत्र में दफनाने से वहां भी संक्रमण फैल जाएगा। हालात ऐसे हो गए कि जिस एम्बुलेंस में 55 वर्षीय न्यूरोसर्जन का शव कब्रिस्तान तक लाया गया था, भीड़ ने उसके कांच तोड़ दिए और ताबूत तक को नहीं बख्शा। भीड़ ने ईंट, पत्थर, बोतल और लाठियों से वहां मौजूद सभी लोगों पर हमला किया और उन्हें वहां से भगा दिया। पुलिस के अनुसार इस घटना में दो एम्बुलेंस चालकों सहित सात लोगों के साथ मारपीट की गयी, जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और स्थानीय अदालत ने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
कोरोना योद्धाओं से ये कैसा सलूक?
देशभर से कोरोना योद्धाओं से लड़ने वाले डॉक्टरों, नर्सों, पुलिसकर्मियों और मीडियाकर्मियों पर हमले की खबरें आ रही हैं, इससे सवाल उठने लगे हैं कि आखिर कोरोना योद्धाओं से ऐसा ही सलूक किया जाता रहा तो भला हम कैसे इस चाइनीज वायरस से जंग जीत पाएंगे? कई इलाकों में तो सैंपल लेने जा रही टीमों पर ही पथराव के मामले सामने आ रहे हैं। कहीं चिकित्सकों और नर्सों को घर खाली करने को कहा जा रहा है, क्योंकि वे कोरोना रोगियों का उपचार कर रहे हैं।