
नई दिल्लीः कोरोना वैक्सीन के लिए देश के लोगों का इंतजार खत्म हो गया है। भारत बायोटेक की स्वदेशी कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड के इमरजेंसी यूज के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसजीआई) ने मंजूरी दे दी है। वहीं जायडस कैडिला हेल्थकेयर की जायकोव-डी को फेज-3 ट्रायल का अप्रूवल मिला है। डीसीजीआई वी जी सोमानी ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर यह जानकारी दी।
डीसीजीआई ने कहा- वैक्सीन 110% सुरक्षित
सोमानी ने कहा कि कुछ साइड इफेक्ट जैसे- हल्का बुखार, दर्द और एलर्जी हर वैक्सीन में कॉमन होते हैं, लेकिन ये दोनों वैक्सीन 110% सुरक्षित हैं। वैक्सीन से नपुंसक होने जैसी बातें बकवास हैं।
मोदी बोले- 2 वैक्सीन को मंजूरी मिलना गर्व की बात
It would make every Indian proud that the two vaccines that have been given emergency use approval are made in India! This shows the eagerness of our scientific community to fulfil the dream of an Aatmanirbhar Bharat, at the root of which is care and compassion.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 3, 2021
डब्लयूएचओ ने कहा- कोरोना के खिलाफ लड़ाई मजबूत होगी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) ने वैक्सीन की मंजूरी के फैसले का स्वागत किया है। डब्लयूएचओ साउथ-ईस्ट एशिया की रीजनल डायरेक्टर डॉ. पूनम क्षेत्रपाल सिंह ने कहा कि भारत के इस फैसले से साउथ-ईस्ट एशिया में महामारी के खिलाफ लड़ाई मजबूत होगी।
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि कोवैक्सिन का फेज-3 ट्रायल अभी तक नहीं हुआ है। इसे जल्दबाजी में अप्रूवल दिया गया है, यह खतरनाक हो सकता है। स्वास्थ्य मंत्री को इस बारे में स्थिति साफ करनी चाहिए। जब तक ट्रायल पूरा नहीं हो, तब तक कोवैक्सिन का यूज नहीं करना चाहिए।
अगले हफ्ते शुरू हो सकता है वैक्सीनेशन
कोरोना पर बनी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने शनिवार को भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए सशर्त मंजूरी देने की सिफारिश की थी। इसके पहले शुक्रवार को सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड को भी इसी तरह की मंजूरी देने की सिफारिश की गई थी। दोनों को मंजूरी मिलने से अब उम्मीद जताई जा रही है कि अगले हफ्ते से वैक्सीनेशन ड्राइव भी शुरू हो जाएगा। तैयारियों को परखने के लिए पूरे देश में इसके लिए वैक्सीनेशन ड्राई रन भी शुरू हो चुका है।
कोवैक्सिन की क्या है खासियत ?
- कोवैक्सिन के फेज-2 क्लिनिकल ट्रायल्स के नतीजे 23 दिसंबर को सामने आए थे। ट्रायल्स 380 सेहतमंद बच्चों और वयस्कों पर किए गए।
- 3 माइक्रोग्राम और 6 माइक्रोग्राम के दो फॉर्मूले तय किए गए। दो ग्रुप्स बनाए गए। उन्हें दो डोज चार हफ्तों के अंतर से लगाए गए।
- फेज-2 ट्रायल्स में कोवैक्सिन ने हाई लेवल एंटीबॉडी प्रोड्यूस की। दूसरे वैक्सीनेशन के 3 महीने बाद भी सभी वॉलंटियर्स में एंटीबॉडी की संख्या बढ़ी हुई दिखी।
- ट्रायल के नतीजों के आधार पर कंपनी का दावा है कि कोवैक्सिन की वजह से शरीर में बनी एंटीबॉडी 6 से 12 महीने तक कायम रहती है।
- एंटीबॉडी यानी शरीर में मौजूद वह प्रोटीन, जो वायरस, बैक्टीरिया, फंगी और पैरासाइट्स के हमले को बेअसर कर देता है।
- कंपनी का दावा है कि फेज-3 के लिए देशभर में सबसे ज्यादा 23 हजार वॉलंटियर्स पर ट्रायल हुआ।
कोवीशील्ड की क्या है खासियत?
- कोवीशील्ड के क्लिनिकल ट्रायल्स के एनालिसिस से बहुत अच्छे नतीजे सामने आए हैं। वॉलेंटियर्स को पहले हाफ डोज दिया और फिर फुल डोज। किसी को भी हेल्थ से जुड़ी कोई गंभीर समस्या देखने को नहीं मिली है।
- जब हाफ डोज दिया गया तो इफिकेसी 90% मिली। एक महीने बाद उसे फुल डोज दिया गया। जब दोनों फुल डोज दिए गए तो इफिकेसी 62% रही।दोनों ही तरह के डोज में औसत इफिकेसी 70% रही। सभी नतीजे आंकड़ों के लिहाज से खास हैं। इफिकेसी जानने के लिए वैक्सीन लगाने के एक साल बाद तक वॉलेंटियर्स के ब्लड सैम्पल और इम्युनोजेनिसिटी टेस्ट किए जाएंगे। इंफेक्शन की जांच के लिए हर हफ्ते सैम्पल लिए जा रहे हैं।
- कोवीशील्ड अन्य वैक्सीन के मुकाबले सस्ती भी है।
3 करोड़ लोगों को फ्री में लगाई जाएगी वैक्सीन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने पहले कहा कि कोरोना वैक्सीन पूरे देश में फ्री होगी। फिर डेढ़ घंटे बाद बोले कि पहले फेज में यह 3 करोड़ लोगों के लिए फ्री मिलेगी। इनमें 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स और 2 करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स शामिल होंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, वैक्सीनेशन करने वाली टीम में 5 सदस्य होंगे।
भारत के अलावा इन देशों में वैक्सीन की मंजूरी मिली
अमेरिका में फाइजर और मॉडर्ना की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज का अप्रूवल मिल चुका है।ब्रिटेन ने फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन को मंजूरी दी है। यहां वैक्सीनेशन चल रहा है।चीन ने हाल में स्वदेशी कंपनी सिनोफार्म की वैक्सीन को कुछ शर्तों के साथ मंजूरी दी है। रूस में भी स्वदेशी वैक्सीन स्पूतनिक वी के जरिए मास वैक्सीनेशन शुरू किया जा चुका है। कनाडा ने फाइजर और बायोएनटेक की वैक्सीन को मंजूरी दी है।