नयी दिल्ली : देश में कोरोना की तीसरी लहर के दौरान महज 15 दिन में कुल सक्रिय मामले 14 गुना हो गये हैं। संक्रमण का इलाज करा रहे लोगों की संख्या 31 दिसंबर को 1 लाख और 8 जनवरी को 5 लाख थी जो 15 जनवरी को 14 लाख के पार हो गयी। इस बीच विशेषज्ञों ने चेताया है कि कोविड-19 (सार्स-कोव-2) की तरह ही इसका नया वेरिएंट ओमिक्रॉन भी एक ही व्यक्ति को दो बार संक्रमित कर सकता है हालांकि उनका यह भी मानना है कि यह ज्यादा खतरनाक नहीं होगा।
दुबारा ओमिक्रॉन संक्रमण पर विशेषज्ञ की दलील
अमेरिकी महामारी विज्ञानी एरिक फीगल-डिंग का कहना है कि अगर पहला ओमिक्रॉन संक्रमण ‘कम क्षमता’ का रहा हो तो दोबारा संक्रमण निश्चित रूप से संभव है क्योंकि पहला संक्रमण संक्रिमित व्यक्ति में प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं कर पाया। इसके अलावा ओमिक्रॉन के दोबारा होने की एक वजह संक्रमित होने वाले व्यक्ति का बेहद कमजोर इम्यून सिस्टम भी हो सकता है।
कई लोगों को दो बार हो चुका है कोरोना
दुनिया कोविड के दोबारा होने के बारे में पहले से परिचित है क्योंकि महामारी की बाद की लहरों में यह पाया गया था कि जो लोग एक बार संक्रमित हो गये हैं, वे भी पुन: संक्रमण के जोखिम में हैं। यह भी कोई नयी बात नहीं है कि कोविड के खिलाफ टीका लगाने वाले लोग भी फिर से संक्रमण का शिकार हो रहे हैं क्योंकि टीके रोग-निवारक नहीं हैं बल्कि गंभीरता और मृत्यु दर से सुरक्षा प्रदान करते हैं। एक संक्रमण के बाद शरीर विकसित होने वाली प्राकृतिक प्रतिरक्षा कम से कम सात से नौ महीने तक चलनी चाहिए।
ओडिशा में मोलनुपिराविर पर रोक
इस बीच कोरोना के इलाज की दवा मोलनुपिराविर की बिक्री और इस्तेमाल पर ओडिशा सरकार के औषधि नियामक ने यह कहते हुए रोक लगा दी है कि जब तक यह पूरी तरह साबित न हो जाये कि दवा पुरी तरह सुरक्षित है, इसके इस्तेमाल और बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगानी चाहिए। वहीं केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) का कहना है कि किसी भी नयी दवा की सुरक्षा-प्रभाव जांचने और दवा के इस्तेमाल की अनुमति देने का काम केंद्र का है। एजेंसियां