Best Desserts in the World: रस मलाई और काजू कतली ने जीता …

नई दिल्ली : भारतीय मिठाइयां रस मलाई और काजू कतली दुनिया की सबसे अच्छी मिठाइयां मानी जाती हैं। रस मलाई और काजू कतली को हाल ही में जारी विश्व की 50 सर्वश्रेष्ठ मिठाइयों में स्थान दिया गया है। ये दोनों मिठाइयां भारतीय पारंपरिक मिठाइयों का प्रतीक हैं और हर त्योहार पर ये मिठाइयाँ भारतीय घरों की शोभा बढ़ाती हैं।

भारतीय मिठाइयों की वैश्विक पहचान

ये खबर वाकई मुंह में पानी ला देने वाली है क्योंकि भारतीय मिठाइयों को वैश्विक पहचान मिल गई है। भारतीय मिठाई रसमलाई और काजू कतली बर्फी को दुनिया की सबसे बेहतरीन मिठाइयों में से एक माना गया है। यह सूची टेस्ट एटलस द्वारा संकलित की गई है, जो दुनिया भर में भोजन के अनुभवों के लिए एक ऑनलाइन गाइड है। टेस्ट एटलस के मुताबिक भारतीय मिठाई रसमलाई को 31वां स्थान दिया गया है। यह मिठाई सफेद क्रीम, चीनी, दूध, इलायची फ्लेवर, छेना से तैयार की जाती है। यह पश्चिम बंगाल की पहचान है और इतनी मुलायम मिठाई पूरे देश में मिलना मुश्किल है। हर त्यौहार पर भारतीय घरों में रसमलाई जरूर मौजूद होती है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है- रस और मलाई।

काजू कतली को 41वीं रैंकिंग मिली है

भारतीय मिठाई रसमलाई के अलावा काजू कतली को भी दुनिया की शीर्ष मिठाइयों में 41वां स्थान दिया गया है। यह फेस्टिव सीजन की सबसे खास मिठाई है। इसे काजू कतली बर्फी के नाम से जाना जाता है। यह एक पारंपरिक भारतीय मिठाई है और इसे हीरे के आकार में तैयार किया जाता है। काजू की मात्रा इस मिठाई की खास पहचान है। इसमें काजू, चीनी, कॉर्डेमम पाउडर और घी बटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसे चांदी की पन्नी में लपेटा गया है जो भारतीय मिठाइयों की शानदार परंपरा को दर्शाता है। काजू कतली बहुत पतली और हल्की होती है। साथ ही इसमें चीनी की मात्रा भी बहुत कम होती है जिसके कारण यह मिठाई सभी को पसंद आती है।

 

शेयर करें

मुख्य समाचार

बदलते मौसम में शरीर में एनर्जी की लगती है कमी ? इन बातों का रखें ध्यान

कोलकाता:  दिसंबर का महिना आ गया है। धीरे-धीरे ठंड भी बढ़ रही है। ऐसे समय में बदलते मौसम के कारण शरीर में एनर्जी की कमी आगे पढ़ें »

आज देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जयंती, इस तरह से गुजरा आखिरी समय

नई दिल्ली: देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की आज(3 दिसंबर)  जयंती है। उनका जन्म बंगाल प्रेसीडेंसी में जेरादेई में 03 दिसंबर 1884 को हुआ आगे पढ़ें »

ऊपर