
कोलकाता : अब आयुर्वेद के डॉक्टर भी मरीजों की सर्जरी कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने आयुर्वेद के स्नातकोत्तर (पीजी) छात्रों को सामान्य सर्जरी की हाल ही में अनुमति प्रदान की है। इसमें कहा गया है कि हड्डी रोग, नेत्र विज्ञान, नाक-कान-गला (ईएनटी) और दांतों से जुड़ी सर्जरी आयुर्वेदिक डॉक्टर कर सकेंगे। केंद्र सरकार की अधिसूचना में कहा गया है कि आयुर्वेदिक अध्ययन के पाठ्यक्रम में सर्जिकल प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल को जोड़ा जाएगा। इसके लिए अधिनियम का नाम बदलकर भारतीय चिकित्सा केंद्रीय परिषद (स्नातकोत्तर आयुर्वेद शिक्षा) संशोधन विनियम, 2020 किया गया है।
देश में आयुष चिकित्सा की प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टरों की ओर से लंबे समय से एलोपैथी के समान अधिकार की मांग हो रही है। नए नियमों के अनुसार आयुर्वेद के छात्र पढ़ाई के दौरान ही शल्य (सर्जरी) और शालक्य चिकित्सा को लेकर प्रशिक्षित किए जाएंगे। छात्रों को शल्यचिकित्सा की दो धाराओं में प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें एमएस (आयुर्वेद) जनरल सर्जरी और एमएस (आयुर्वेद) शालक्य तंत्र (नेत्र, कान, नाक, गला, सिर और सिर-दंत चिकित्सा का रोग) जैसी शल्य तंत्र की उपाधियों से सम्मानित किया जाएगा।
दूसरी तरफ केंद्र सरकार के इस फैसले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए), इंडियन डेंटल एसोसिएश (आईडीए), वेस्ट बंगाल डॉक्टर्स फोरम सहित सभी डॉक्टर संगठनों ने विरोध जताया है। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा ने कहा कि क्रोसोपैथी (मिश्रित पैथी) से से देश में हाइब्रिड डॉक्टरों को बढ़ावा मिलेगा।