
लखनऊ : उन्नाव में सोमवार को हुए रेप पीड़िता के एक्सीडेंट मामले में प्रारंभिक फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट आ गई है। इसमें दावा किया गया है कि बारिश के कारण ट्रक का पहिया फिसला और कार से जा टकराया, जिसमें रेप पीड़िता, उसकी चाची, मौसी और वकील बैठे हुए थे। मालूम हो कि जिस ट्रक से ये दुघर्टना हुई उसके नम्बर प्लेट पर कालिख पुती हुई थी, जिसके कारण इस घटना के साजिश होने का शक भी जताया जा रहा था। हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस शुरू से ही इसको एक हादसा बताती आ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक रेप पीड़िता की कार बहुत तेज रफ्तार से जा रही थी और ट्रक भी करीब 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा था। एक मोड़ पर बारिश के कारण ट्रक का संतुलन बिगड़ा और उसी समय सामने से आती रेप पीड़िता की कार से उसकी टक्कर हो गई।
दुर्घटनास्थल का हुआ निरीक्षण
हादसे के बाद सोमवार को दुर्घटनास्थल का निरीक्षण करने के लिए फॉरेंसिक साइंस लैबरेटरी की लखनऊ और रायबरेली इकाइयों के विशेषज्ञों को भेजा गया। उन लोगों ने टक्कर के बाद कबाड़ बनी हुई कार और ट्रक की भी जांच की, जिसके बाद उन्होंने कहा कि पहली बार देखने से तो ये हादसा ही प्रतीत होता है पर जांच के पूरा होने तक कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता। एक विशेषज्ञ ने कहा, ’12 पहिये वाला ट्रक 70 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा था। जब कार ट्रक के पास आई, तो ट्रक ड्राइवर उसे संभाल नहीं पाया होगा और ट्रक कार से भिड़ गया होगा।’
बताते चलें कि एक विशेषज्ञ ने बताया कि जिस जगह पर एक्सीडेंट हुआ है, वहां पर एक अंधा मोड़ है जहां न तो कोई साइन बोर्ड लगा है, न ही कोई स्पीड ब्रेकर है। कोई चेतावनी भी नहीं लिखी थी, जिस वजह से कार और ट्रक के ड्राइवर ठीक से एक-दूसरे को नहीं देख पाए और जब तक ड्राइवर कार संभालता गाड़ियां भिड़ गईं।
घटनास्थल पर पहिये के फिसलने के निशान मिले
निरीक्षण के लिए गई टीम को घटनास्थल से गाड़ियों के पहियों के फिसलने के निशान भी मिले हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि इन निशानों को देखकर ये साफ हो जाता है कि ट्रक की रफ्तार बहुत तेज थी। इसके अलावा कार और ट्रक की बॉडी साथ ही उनके पेंट्स की भी जांच की गई। आईजी (लखनऊ रेंज) एस के भगत ने बताया कि अभी कोई भी निष्कर्ष निकालना जल्दबाजी होगी। साथ ही उन्होंने इस फरेंसिक रिपोर्ट पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
गौरतलब है कि इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस ने तीन सदस्यीय स्पेशल इंवेस्टिगेटिंग टीम यानी एसआईटी का गठन भी किया है। साथ ही सरकार ने सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन यानि सीबीआई जांच की भी मंजूरी दे दी है। अब यूपी की एसआईटी और सीबीआई इस मामले की जांच करेगी।