नई दिल्ली : शीर्ष न्यायालय ने सोमवार को संत रविदास मंदिर के पुनर्निमाण के लिए 400 वर्ग मीटर जमीन देने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। बता दें कि अदालत के आदेश पर तुगलकाबाद में दिल्ली विकास प्राधिकरण ने पिछले अगस्त महीने में इस मंदिर को तोड़ दिया था। जिसके बाद काफी हंगामा हुआ। साथ ही विरोध-प्रदर्शन भी हुए।
पहले मंदिर की जगह ही होगा पुनर्निर्माण
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए सरकार ने मंदिर के पुनर्निमाण के लिए 200 वर्ग मीटर की जगह 400 वर्ग मीटर जमीन देने का प्रस्ताव दिया है। संत रविदास के भक्तों के लिए सबसे अच्छी बात यह होगी कि मंदिर का पुनर्निर्माण उसी जगह पर किया जाएगा, जहां पर पहले मंदिर स्थित था।
6 सप्ताह का दिया समय
इस दौरान पीठ ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए 6 सप्ताह के भीतर एक समिति का गठन करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए चिन्हित की गई जमीन में और उसके आस-पास किसी को व्यावसायिक गतिविधि करने की अनुमति नहीं होगी।
अदालत का दूसरा निर्देश
शीर्ष अदालत ने मंदिर तोड़े जाने के बाद हुए प्रदर्शन में गिरफ्तार लोगों को निजी मुचलके पर रिहा करने का भी निर्देश दिया है। मालूम हो कि तुगलकाबाद में जब संत रविदास का मंदिर तोड़ा गया था, उसके देश भर में काफी विरोध हुआ। दलित समाज के लोगों ने इस घटना के खिलाफ सड़कों पर हिंसक विरोध प्रदर्शन किए थे। साथ ही भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर के नेतृत्व में दलित समाज ने रामलीला मैदान में बड़ा आंदोलन किया था। जिसके बाद इनके हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने चंद्रशेखर सहित करीब 100 लोगों को गिरफ्तार किया था।
कोर्ट ने दी थी चेतावनी
इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने इसका राजनीतिकरण करने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था कि जो लोग भी धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाएगी। साथ ही अदालत की पीठ ने यह भी कहा था कि हम फैसले की आलोचना स्वीकार नहीं करेंगे।