
नई दिल्ली : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि जो घटनाएं पोक्सो कानून के तहत आती हैं उनमें अभियुक्तों को दया याचिका के अधिकार से वंचित किया जाना चाहिए। उन्हें इस तरह का अधिकार दिए जाने की कोई आवश्यकता नहीं है। राष्ट्रपति कोविंद शुक्रवार को माउंट आबू में ब्रह्मकुमारी के मुख्यालय पहुंचे थे जहां सामाजिक परिवर्तन के लिए महिला सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए उन्होंने यह बात कही।
सब की सोच एक साथ आगे बढ़ रही है
राष्ट्रपति ने यहां महिलाओं व बच्चियों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर बात की। उन्होंने कहा कि, ‘इस तरह के जो अभियुक्त होते हैं उन्हें संविधान में दया याचिका अधिकार दिया गया है। मैंने इस पर पुनर्विचार के लिए कहा है।’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘पोक्सो एक्ट के तहत आने वाली घटनाओं में उनको (अभियुक्तों को) दया याचिका के अधिकार से वंचित कर दिया जाए। इस प्रकार के किसी भी अधिकार की उन्हें आवश्यकता नहीं है।’ इस बारे में संसद को कोई कदम उठाना चाहिए है। उन्होंने कहा, ‘यह हमारी संसद पर निर्भर करता है। उसमें एक संविधान है और उसमे संशोधन, लेकिन उस दिशा में हम सब की सोच एक साथ आगे बढ़ रही है।’
बहुत कुछ करना अभी बाकी है
राष्ट्रपति कोविंद ने महिला सुरक्षा को गंभीर मुद्दा बताया और कहा कि इस पर बहुत काम हुआ है लेकिन बहुत कुछ करना अभी बाकी है। बेटियों पर होने वाले आसुरी प्रहारों की वारदातें देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख देती हैं। उनके अनुसार हर माता-पिता का यह दायित्व है कि वे लड़कों में ‘महिलाओं के प्रति सम्मान’ की भावना मजबूत बनाएं।
निर्भया मामले में आरोपियों की दया याचिका भेजी गई राष्ट्रपति को
उल्लेेखनीय है कि गृहमंत्रालय ने निर्भया के साथ गैंगरेप और हत्या के आरोपियों की दया याचिका को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है। गृह मंत्रालय की ओर से यह गुजारिश भी की गई कि राष्ट्रपति इस याचिका को खारिज कर दें। बता दें कि दया याचिका की यह फाइल दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से होते हुए गृह मंत्रालय पहुंची थी।