कोलकाता : पूर्व क्रिकेटर सौरभ गांगुली को इस्पात का कारखाना लगाने के लिए सरकार की तरफ से जमीन दिए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस टी एस शिवंगनम के डिविजन बेंच में एक पीआईएल दायर की गई थी।राज्य सरकार ने उन्हें एक रुपए के एवज में 350 एकड़ की यह जमीन दी है। दरअसल इस जमीन का ताल्लुक पूर्व में एक चिट फंड कंपनी के साथ जुड़ा रहा है। इसका हवाला दिए जाने के बाद चीफ जस्टिस ने इसकी सुनवायी जस्टिस जयमाल्य बागची के डिविजन बेंच को सौंप दी।एडवोकेट सुभाशिष चक्रवर्ती ने यह जानकारी देते हुए बताया कि जस्टिस बागची के डिविजन बेंच में चिट फंड मामलों की सुनवायी हो रही है। पश्चिम मिदनापुर में इस्पात का कारखाना लगाने के लिए यह जमीन उन्हें दी गई है। एडवोकेट चक्रवर्ती ने बताया कि पहले यह 750 एकड़ जमीन फिल्म सिटी बनाने के लिए प्रयाग ग्रुप को दी गई थी। इस कंपनी ने इस मद में करीब 27 सौ करोड़ रुपए का निवेश किया था। चिटफंड घोटाले का खुलासा होने के बाद प्रयाग ग्रुप का नाम भी इससे जुड़ गया। यह भी खुलासा हुआ कि कंपनी ने यह रकम निवेशकों से वसूलने के बाद निवेश किया था। चिटफंड कंपनियों की संपत्ति जब्त करने के लिए हाई कोर्ट ने पूर्व जस्टिस एस पी तालुकदार की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। एडवोकेट चक्रवर्ती के मुताबिक इस कमेटी ने प्रयाग ग्रुप की जिन संपत्तियों को जब्त किया था उनमें यह जमीन भी शामिल थी। इसके अलावा अभी तक निवेशकों की रकम भी वापस नहीं की गई है। इसी जमीन में से 350 एकड़ जमीन सौरभ गांगुली को दी गई है। एस के मसूद ने यह पीआईएल दायर की है। इस पीआईएल में यह सवाल उठाया गया है कि इस परिस्थिति में यह जमीन सौरभ गांगुली को कैसे दी जा सकती है।