
नई दिल्ली : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आए 13 दिन बीत चुके हैं। इसके बावजूद सरकार गठन को लेकर स्थिति साफ नहीं है। वहीं शिवसेना का 50-50 फॉर्मूले पर पेंच अभी भी फंसा हुआ है। इसी राजनीतिक रस्साकस्सी के बीच शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि उनकी पार्टी केवल उन्हीं प्रस्तावों पर बातचीत करेगी जिसे भाजपा ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रस्तुत किए थे। साथ ही उन्होंने भाजपा को उनके वादों को याद दिलाते हुए कहा कि हमारी ओर से न तो कोई प्रस्ताव आएगा और न जाएगा। जो पहले तय हुआ था उसी पर बात होगी। ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद पर चुनाव से पहले सहमति बनी थी। उसी के अनुसार गठबंधन हुआ था। अब किसी नए प्रस्ताव का कोई मतलब नहीं है। बता दें कि पवार बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे जिसमे कोई बड़ा ऐलान किया जा सकता है।
अपने वादे से हटी भाजपा : शिवसेना
शिवसेना का कहना है कि भाजपा को जब अपना वादा निभाने का वक्त आया तो उनके नेता अपनी बातों से पलट गए। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने जनादेश का अपमान किया है क्योंकि, महाराष्ट्र की जनता चाहती है कि दोनों दल एक साथ मिलकर सरकार बनाएं। वहीं मंगलवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के घर बैठक हुई। जिसके बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि जनता ने भाजपा-शिवसेना गठबंधन को जनादेश दिया है। हमने शिवसेना को प्रस्ताव भेजा है और हमें उनकी तरफ से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। साथ ही उन्होंने बताया कि वह शिवसेना के जवाब का अगले 24 घंटे तक इंतजार करेंगे।
9 नवंबर तक सरकार का गठन जरूरी
महाराष्ट्र में संवैधानिक व्यवस्था के तहत 9 नवंबर तक सरकार का गठन हो जाना चाहिए। ऐसा इसलिए कि 9 नवंबर को मौजूदा सरकार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। इस दौरान यदि भाजपा और शिवसेना किसी नतीजे पर नहीं पहुंची तो राज्य को राष्ट्रपति शासन का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में दोनों पार्टियों के लिए आने वाले 72 घंटे काफी महत्वपूर्ण है। महाराष्ट्र में शिवसेना एक तरफ लगातार भाजपा को उसके वादे की याद दिला रही है तो दूसरी ओर भाजपा के नेता इस संबंध में चुप्पी साधे बैठे हैं। वो इस मामले में केवल इतना ही कह रहे है कि महाराष्ट्र का जनादेश भाजपा और शिवसेना के पक्ष में है, और दोनों मिलकर सरकार बनाएंगे।