
नई दिल्ली : गुजरात में साल 2002 में हुए दंगों पर नानावती-मेहता आयोग की अंतिम रिपोर्ट विधानसभा में पेश कर दी गई है। इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तत्कालीन मुख्यमंत्री) को क्लीन चिट दी गई है। आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, गोधरा ट्रेन जलाने के दंगे प्रोयोजित नहीं किए गए थे। गुजरात विधानसभा में बुधवार को दंगों की जांच कर रहे नानावती आयोग की रिपोर्ट पेश की गई। सदन में गुजरात के गृह मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगे आरोप खारिज किए गए हैं।
साबरमती एक्सप्रेस में 58 कारसेवकों को जिंदा जला गया था
27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी में 58 कारसेवकों को जिंदा जलाए जाने के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। जिसके बाद मामला गुजरात उच्च न्यायालय पहुंचा, जहां अदालत ने 2002 के आणंद जिले के ओडे कस्बे के पीरवाली भगोल इलाके में हुए दंगा मामले में 19 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा, साथ ही 3 लोगों को बरी कर दिया।
गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दो दिन बाद यह घटना हुई थी
बता दें कि भीड़ ने 1 मार्च 2002 को गुजरात के आणंद जिले के ओडे कस्बे के पीरवाली भगोल इलाके में एक घर में आग लगा दी थी। इस घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के 23 सदस्य जिंदा जल गए थे। यह घटना गोधरा ट्रेन अग्निकांड के 2 दिन बाद घटी थी। अग्निकांड के कारण समूचे राज्य में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी
14 अभियुक्तों को उम्रकैद
न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति बी एन करिया की पीठ ने बुधवार को निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर की गयी याचिकाओं पर 14 अभियुक्तों को उम्रकैद के साथ ही 5 अन्य को 7 साल जेल की सजा को बरकरार रखा।