Ganesh Chaturthi 2023 : गणेश चतुर्थी पर ऐसे करें बप्पा को प्रसन्न

कोलकाता : आज गणेश चतुर्थी है यानी गणपति बप्पा का हैप्पी बर्थडे। उनका बर्थडे मनाया जाता है भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को, इस बार यह तिथि पड़ रही है 19 सितंबर को। लेकिन इस दिन हम ‘हैप्पी बर्थडे…’ नहीं गाते, बल्कि हर तरफ धूम होती है ‘गणपति बप्पा मोरया… अगले बरस तू जल्दी आ’ की। लेकिन क्या आपको पता है ‘गणपति बप्पा मोरया..’ गाते क्यों हैं?
इस पर्व को पहले केवल महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता था, किन्तु अब लगभग पूरे देश में इसका उत्सव देखने लायक होता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य प्रथम पूज्य गणपति जी की पूजा करके उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है। गणेश जी को विद्या, बुद्धि, और सफलता का देवता माना जाता है और इसलिए उनकी पूजा का खास महत्व है। इस पर्व के दौरान, लोग गणपति जी के चित्र या मूर्ति को सजाकर पूजा करते हैं। इसे भारतीय समाज की एकता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व के माध्यम से, लोग गणपति जी के आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं और सफलता की प्राप्ति के लिए उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की आशा करते हैं।
कब है पूजा का शुभ मुहूर्त?
हिन्दू पंचांग के अनुसार पूजा का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 8 मिनट से दोपहर 1 बजकर 33 मिनट तक गणेश मूर्ति स्थापना का शुभ अवसर रहेगा, वहीं पूजा के ठीक 10 ‌दिनों के बाद गणपति प्रतिमा का विसर्जन क‌िया जाएगा।
कैसे करें भगवान गणेश का स्वागत?
गणेश चतुर्थी पर गणपति जी की पूजा इस तरीके से करें – पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कि गणपति जी की मूर्ति, दीपक, अगरबत्ती, पूजा थाली, चावल, दूध, मिष्ठान, फूल, फल आदि को तैयार करें। पूजा स्थल को साफ करें और उस स्‍थल को फूलों से सजा लें। फिर वहां गणपति जी की मूर्ति को स्थापित करें। पूजा की शुरुआत गणेश मन्त्रों का उच्चारण करके करें। मूर्ति यदि धातु की है तो उसका जल और दूध से अभिषेक करें और यदि प्रतिमा मिट्टी की बनी है तो सांकेतिक जलाभिषेक एवं दुग्धाभिषेक करें। इसके पश्चात गणेश चालीसा करते हुए मूर्ति की पूजा करें। पूजा थाली में फल, मिष्ठान, और दीपक रखकर सजा लें और इन्हें मूर्ति को अर्पित करें। अब अगरबत्ती व दीपक जलाएं और गणपति जी की आरती गाएं। पूजा के पश्चात पहले गणपति जी को प्रसाद का भोग लगाएं और फिर उसे परिवार एवं दोस्तों के साथ बांटे। गणेशोत्सव के आखिरी दिन मूर्ति का जल में विसर्जन करें। इसे नदी, झील या समुद्र में विसर्जित करें। यह पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ करें तो गणपति बप्पा की कृपा आप पर जरूर बरसेगी।

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