नई दिल्ली : आईएनएक्स मीडिया मामले में मंगलवार को पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को उच्चतम न्यायालय ने जमानत दे दी है। हालांकि इसी मीडिया समूह से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक अन्य मामले में उन्हें 24 अक्टूबर तक प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) द्वारा हिरासत में रखा जाएगा। बता दें कि 15 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस नेता ने जमानत याचिका दायर की थी। इसके बाद सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया केस में चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
न्यायमूर्ति आर. भानुमति के नेतृत्व में बेंच ने चिदंबरम को इस शर्त पर जमानत दी है कि वे देश से बाहर नहीं जा सकेंगे। इसके साथ ही एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर उन्हें जमानत दी गई है। हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि किसी अन्य मामले में जरूरत न हो तो चिदंबरम को रिहा किया जा सकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर के फैसले को उच्चतम न्यायालय द्वारा रद्द कर दिया गया है।
गौरतलब है कि पूर्व वित्त मंत्री ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपनी जमानत याचिका खारिज किए जाने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अर्जी दी थी।
चिदंबरम ने ली थी रिश्वत, इंद्राणी बन सकती हैं गवाह
सीबीआई ने चिदंबरम पर रिश्वत का आरोप लगाया था। आरोप पत्र में सीबीआई ने लिखा है कि पूर्व वित्त मंत्री ने सत्ता में रहते हुए 2007 में आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रु. लेने के लिए विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड से मंजूरी दिलाई थी, जिसके लिए उन्होंने रिश्वत ली थी। इस मीडिया को करोड़ो रुपये दिए जाने के निर्णय की प्रकिया में कई सरकारी वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जिनमें से एक का नाम सीबीआई के आरोप पत्र में हो सकता है। हालांकि, इस अधिकारी के नाम का खुलासा अब तक नहीं किया गया है। इसे इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी का करीबी माना जा रहा है। सीबीआई के आरोप पत्र में इंद्राणी सरकारी गवाह हो सकती हैं। फिलहाल, वे बेटी शीना बोरा की हत्या के मामले में जेल में कैद हैं।
ईडी ने की दो घंटे तक पूछताछ
16 अक्टूबर को ईडी ने चिदंबरम से करीब दो घंटे तक पूछताछ की थी। यह पूछताछ दरअसल आईएनएक्स मीडिया से जुड़े मनी लाॅन्ड्रिंग मामले को लेकर की गई थी। विशेष न्यायालय से अनुमति प्राप्त कर ईडी तिहाड़ जेल पहुंची थी। पूछताछ के बाद चिदंबरम को गिरफ्तार कर लिया गया था।