
नई दिल्ली : शीर्ष न्यायालय ने शनिवार को अयोध्या मामले में अपना फैसला सुनाया। इस दौरान न्यायालय ने पैरवी करने वाले वकीलों की तारीफ की। न्यायालय ने हिंदू पक्ष के वकील तथा पूर्व अटार्नी जनरल के परासन, वकील सीएस वैद्यनाथन के साथ मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की तारीफ करते हुए उन्हें फैसला लिखने में मददगार बताया। न्यायालय ने कहा कि, वकीलों की तार्कीक बहस के चलते इस जटिल मामले को समझने में मदद मिली तथा 1045 पन्नों का फैसला लिखना संभव हो पाया।
रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने यह कहा
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच ने कहा, “हम बहस की अगुवाई करने वाले के परासरन और राजीव धवन के प्रयासों की सराहना करते हैं। काम के प्रति उनकी ईमानदारी और अदालत में अपने पक्ष में उनकी स्पष्ट दलीलों ने अदालत की सुनवाई को जीवंत बनाए रखा। उनकी वजह से ही सभी पक्ष सत्य और न्याय की खोज में शामिल हुए।”
सबरीमला मंदिर मामले में परासरन ने की थी पैरवी
बता दें कि अयोध्या मामलें में हिंदू पक्ष के वकील रहे के परासरन (92) ने सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर भी अदालत की मदद की थी। वह 1983 से 1989 के बीच इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान अटार्नी जनरल रह चुके हैं। उन्हें 2003 में पद्म भूषण और 2011 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
मुस्लिम पक्ष के वकील की प्रशंसा
न्यायालय ने कहा कि संवेदनशील मामले में हम मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन की मदद की प्रशंसा करते हैं। 74 वर्षीय धवन ने 11 दिसंबर 2017 को केंद्र और दिल्ली सरकार के केस की पैरवी के दौरान हुए वाकये को ‘अपमानजनक’ बताते हुए वकालत छोड़ दी थी। अयोध्या केस में मुस्लिम पक्ष की पैरवी करने वाले एक वकील के अनुरोध पर धवन ने केस लड़ना स्वीकार किया था।
इसके अलावा न्यायालय ने अलग-अलग पक्षकारों की तरफ से केस में शमिल वकील एसके जैन, रंजीत कुमार, जफरयाब जिलानी, मीनाक्षी अरोरा, शेखर नाफडे, विकास सिंह और पीएस नरसिम्हा को उनके सहयोग के लिए धन्यवाद दिया।