अयोध्या/ नई दिल्ली : अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए बनाए गए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लिखे एक पत्र में मुस्लिमों की कब्र पर नया राम मंदिर न बनाए जाने की अपील की गई है। यह पत्र इलाके के नौ मुस्लिम लोगों ने लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि मुस्लिमों के दावे को ‘पूरी तरह से छीनते हुए’ और कानून के विपरीत जाते हुए सरकार ने 67 एकड़ की जमीन राम मंदिर के लिए उपयोग की है। साथ ही यह अपील की गई है कि ‘बाबरी मस्जिद के आसपास 1480 वर्ग मीटर के क्षेत्र में नया राम मंदिर ना बनाएं।’ इसके अलावा पत्र में ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए कहा गया है कि साल 1855 के दंगों में मारे गए 75 मुस्लिमों के शवों को इसी जमीन में दफ्न किया गया।
4-5 एकड़ की जमीन पर थीं मुस्लिमों की कब्रें
एक रिपोर्ट के अनुसार, इलाके के 9 मुस्लिम लोगों द्वारा लिखी इस चिट्ठी में राम मंदिर के लिए प्रस्तावित भूमि पर कब्र होने की बात कही गई है। पत्र में लिखा है, ‘भले ही आज उस जमीन पर कोई कब्र नहीं दिख रही, लेकिन वहां की 4-5 एकड़ की जमीन पर किसी जमाने में मुस्लिमों की कब्रें थीं। ऐसे में उस जमीन पर राम मंदिर कैसे बनाया जा सकता है। वर्ष 1993 में केंद्र सरकार द्वारा अयोध्या में अधिग्रहित की गई 67 एकड़ जमीन उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण के लिए दे दी गई। लेकिन केंद्र ने इस बात पर गौर ही नहीं किया कि जिस जगह मुस्लिमों की कब्र हो, वहां पर भव्य राम मंदिर नहीं बन सकता। ऐसा करना धर्म के विपरीत है।’
ट्रस्ट प्रबंधन करेगा फैसला
9 मुस्लिम नागरिकों ने वकील के माध्यम से ट्रस्ट को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया, ‘ समाज के जागरूक नागरिक और सनातन धर्म के जानकारी होने के नाते आपको इस पर अवश्य ही सोचना चाहिए कि क्या मुस्लिमों की कब्र पर एक राम मंदिर की नींव रखी जा सकती है। ट्रस्ट के प्रबंधन को इसका फैसला करना होगा।’
बजट सत्र 2020 के दौरान मोदी ने किया ऐलान
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में बजट सत्र 2020 के दौरान अयोध्या में अधिग्रहीत 67 एकड़ जमीन राम मंदिर ट्रस्ट को दिए जाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार सरकार सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने पर सहमत है।’