नई दिल्ली :
अर्थशास्त्र में नोबेल जीतने वाले भारतीय अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुलाकात की, पीएम मोदी ने बताया की उन्होंने अभिजीत बनर्जी के साथ विभिन्न विषयों पर एक स्वस्थ और व्यापक बातचीत की। प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई इस मुलाकात के बाद मोदी ने ट्वीट किया, “नोबेल सम्मानित अभिजीत बनर्जी से शानदार मुलाकात। मानव सशक्तिकरण के प्रति उनका जोश साफ दिखता है। हमारे बीच कई मुद्दों पर काफी स्वस्थ और लंबी बातचीत हुई। भारत उनकी उपलब्धियों से गौरवान्वित है। भविष्य के लिए उन्हें ढेरों शुभकामनाएं।’’
तीन लोंगों को अर्थशास्त्र में संयुक्त रूप से दिया जाएगा नोबेल
भारतीय अमेरिकी अभिजीत बनर्जी और उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो को वर्ष 2019 के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार दिए जाने का ऐलान किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और अमेरिका के माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से दिया जाएगा। तीनों अर्थशास्त्रियों को यह पुरस्कार ‘वैश्विक स्तर पर गरीबी उन्मूलन के लिए किये गये कार्यों के लिये दिया जाएगा।
पीएम ने काफी समय दिया
मोदी से मिलने के बाद बनर्जी ने कहा, “प्रधानमंत्री जी ने मुझे मिलने के लिए काफी लंबा समय दिया। उन्होंने मुझे भारत के बारे में अपने सोचने के तरीके से अवगत कराया। यह कुछ अलग था, क्योंकि एक आदमी पॉलिसी और उसके पीछे की सोच के बारे में बताता है। लेकिन उन्होंने मुझे बताया कि वो शासन व्यवस्था को कैसे देखते हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने मुझे बताया कि वे कैसे ब्यूरोक्रेसी में बदलाव लाना चाहते हैं, ताकि उसे ज्यादा प्रतिक्रिया देने वाला और जमीनी सच्चाई समझने लायक बनाया जा सके।”
अध्यापन और रिसर्च का काम अभी भी है जारी
अमरीकी नागरिक 58 वर्षीय अभिजीत बनर्जी ने साल 1981 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रेसिडेंसी कॉलेज से विज्ञान में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने 1983 में दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए किया। बनर्जी ने 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की। उनके पिता दीपक बनर्जी प्रेसिडेंसी कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे जबकि उनकी मां निर्मला बनर्जी सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज, कलकत्ता में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर थीं। पीएचडी करने के बाद बनर्जी कई जगह फेलो रहे और उन्हें अनगिनत सम्मान मिले। साथ ही साथ वह अध्यापन और रिसर्च का अपना काम करते रहे। उन्होंने 1988 में प्रिंस्टन विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू किया। 1992 में उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी पढ़ाया। इसके बाद 1993 में उन्होंने एमआईटी में पढ़ाना और शोध कार्य शुरू किया जहां पर वह अभी तक अध्यापन और रिसर्च का काम कर रहे हैं।