
बीजिंग : भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर तीन दिवसीय चीन दौरे पर रविवार को तीन बीजिंग पहुंचे। उन्होंने वहां चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्शिन से मुलाकात की। वे अपने दौरे के दौरान चीनी विदेश मंत्री के साथ बैठक भी करेंगे। उनकी इस यात्रा के दौरान इस साल राष्ट्रपति शी के भारत दौरे की तैयारियों को अंतिम रूप देने सहित अन्य कई मुद्दों पर बातचीत होगी। बता दें मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद जयशंकर चीन का दौरा करने वाले पहले भारतीय मंत्री हैं। हालांकि, राजनयिक से विदेश मंत्री बने जयशंकर साल 2009 से 2013 तक चीन में भारत के राजदूत रहे थे, और किसी भी भारतीय दूत का यह सबसे लंबा कार्यकाल था।
हमारा संबंध स्थिरता का होगा परिचायक
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि ऐसे वक्त में जब पूरी दुनिया अनिश्चितता की स्थिति का सामना कर रही है तब भारत-चीन संबंधों को स्थिरता का परिचायक होना चाहिए। रविवार को चीन पहुंचे जयशंकर ने चीनी उपराष्ट्रपति वांग क्शिन से झोंग्ननहाई में भव्य व बेहद खूबसूरत इम्पीरियल आवासीय परिसर में मुलाकात की, जहां चीन के कुछ शीर्ष नेता भी मौजूद रहे। बाद में जयशंकर ने विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक की, जिसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक भी हुई।
मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच हुई बैठक पर भी हुई चर्चा
मालूम हो कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भरोसेमंद माने जाने वाले वांग के साथ मुलाकात के दौरान अपनी शुरुआती टिप्पणी में जयशंकर ने कहा, ‘‘हम दो साल पहले अस्ताना में एक आम सहमति पर पहुंचे थे कि ऐसे समय में जब दुनिया में पहले से अधिक अनिश्चितता है, ऐसी स्थिती में हमारा संबंध स्थिरता का परिचायक होना चाहिए।’’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी के बीच हुई शिखर बैठक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘वुहान शिखर सम्मेलन के बाद मैं यहां आ कर आज बहुत खुश हूं, जहां विश्व स्तर और क्षेत्रीय मुद्दों पर हमारे नेताओं के बीच आम सहमति और बढ़ी थी।’’
एमओयू पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद
जयशंकर की इस यात्रा के दौरान चार सहमति पत्र (एमओयू) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। साल 2017 में डोकलाम में 73 दिनों तक चले गतिरोध के बाद मोदी और शी ने पिछले साल वुहान में पहली अनौपचारिक वार्ता कर द्विपक्षीय संबंधों को गति दी थी। साथ ही अधिकारियों ने इस साल पहली बार द्विपक्षीय व्यापार के 100 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद जताई है।
बता दें विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है, जब भारत ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करते हुए उसे दो केंद्रशासित क्षेत्रों में बांट दिया है। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के भारत के फैसले से बहुत पहले उनका दौरा तय हो चुका था।