कांग्रेस का अमित शाह से सवाल-संविधान के खिलाफ है विधेयक, क्या देशभर में बनेंगे हिरासत केंद्र?

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नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन ‌विधेयक को राज्यसभा में बुधवार को पेश किया गया। सदन में विधेयक पर बहस के दौरान काफी हंगामा हुआ। तृणमूल कांग्रेस की ओर से डेरेक ओ ब्रायन ने इस विधेयक के विरोध में विचार रखे। उन्होंने मोदी सरकार को घेरते हुए कहा कि आप देश के लोगों का तो ध्यान रख नहीं रहे और बाहर से आए लोगों के सम्मान की बात करते हैं‍‍? बंगाल और गुजराज एक नहीं।

‘विधेयक है चिंताजनक’

डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह सरकार वादा निभाने से अधिक तेज तो वादा तोड़ने में है। सरकार के अनुसार यह विधेयक चिंताजनक नहीं लेकिन मैं इस विधेयक को चिंताजनक मानता हूं। देश में नोटबंदी के वक्त भी सरकार ने कहा था कि अगर 50 दिन में स्थिति बेहतर नहीं हुई तो सबके सामने ले जाकर सजा दे देना। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। डेरेक ने सरकार को झूठा बताते हुए कहा कि बिल पर मुझे इसलिए चिंता है क्योंकि यह सरकार अपनी ही बातों से पलट जाती है।

‘गांधी,सावरकर के कथनों पर बात नहीं होनी चाह‌िए’

डेरेक के पूर्व राज्यसभा में बीजेपी के जेपी नड्डा ने विधेयक के पक्ष में अपनी बात रखी। उन्‍होंने आनंद शर्मा पर निशाना साधते हुए कहा कि कहा कि तर्क के अभाव में वकील मुद्दे पर बात करने की बजाय अन्य बातें करते रहते हैैं। फिलहाल इस विधेयक पर बात होनी चाहिए न कि गांधी या सावरकर के कथनों पर।

‘लोगों के मन में विधेयक को लेकर है संदेह’

नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करते हुए कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता आनंद शर्मा ने पार्टी का पक्ष रखा। उन्‍होंने कहा कि इस विधेयक के कारण पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। इस बवाल की वजह है कि देश असुरक्षा की भावना से जूझ रहा है। नागरिकता को लेकर लोगों के मन में संदेह है। उन्होंने गृह मंत्री से सवाल किया कि यही चला तो क्या देशभर में हिरासत केंद्र बनेंगे? यह लोगों के साथ अन्याय है। उन्होंने कहा कि इस देश के लोग आज भी पुर्नजन्‍म पर विश्‍वास करते हैैं। अगर सरदार पटेल की मुलाकात मोदी जी से‍ होगी तो पटेल जरूर नाराज होंगे। मोदी सरकार के प्रचार के तरीकों पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि गांधी जी का चश्मा सिर्फ विज्ञान के लिए नहीं।

‘संविधान की मूल भावना के खिलाफ है विधेयक

आनंद शर्मा ने इस विधेयक को भारतीय संविधान की मूल भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि संविधान की प्रस्‍तावना में ही धर्मनिरपेक्षता का उल्लेख किया गया है, यह विधेयक इसके खिलाफ है। अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चाहते थे कि उनके घर में कोई दीवार न रहे, और सभी धर्म के अनुयायी रह सकें।

‘विधेयक से मुस्लिमों का कोई लेना-देना नहीं

मालूम हो कि राज्यसभा में नागरिकता संशोधन ‌विधेयक को पेश करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने बयान दिया कि यह विधेयक देश के मुसलमानों के खिलाफ नहीं है। उनके अनुसार भारत के पड़ोसी देशों में पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान का नाम इस्लाम मानने वाले लोगों की अधिक आबादी के कारण इस्‍लामिक देशों में गिना जाता है। वहां मुस्‍लिम अल्पसंख्यक नहीं हैं। इसी कारण इस विधेयक के तहत हिंदू, सिख, जैन, बौध, पारसी और ईसाई को भारत की नागरिकता देने की बात की गई है। यह विधेयक अगर पारित हो जाता है तो 31 दिसंबर, 2014 से पहले धार्मिक प्रताड़ना के चलते भारत आए शरणार्थियों को इस देश की नागरिकता मिल जाएगी। यह विधेयक इन शरणार्थियों को यातना से मुक्ति दिलाएगा। इस विधेयक से भारतीय मुस्लिम का कोई लेना-देना नहीं। ‘मुस्लिम यहां के नागरिक थे, हैं और रहेंगे, उन्हें कोई परेशानी नहीं होगी’।

 

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