
चंडीगढ़ : ऑस्ट्रलिया में भारतीय मूल के दीपक राज गुप्ता ने मंगलवार को भगवद् गीता पर हाथ रखकर विधायक पद की शपथ ली है। इसी के साथ दीपक कैपिटल टेरेटरी (एसीटी) असेंबली में चुने जाने वाले पहले भारतीय-ऑस्ट्रेलियन बन गए हैं। बता दें कि दीपक 1989 में सूचना तकनीक की पढ़ाई करने ऑस्ट्रेलिया गए थे जिसके बाद उन्होंने वहां की नागरिकता ले ली।
इस तरह से शपथ लेने का लिया था फैसला
दीपक ने बताया कि उन्होंने ये फैसला पहले ही कर लिया था कि वे भगवद् गीता पर हाथ रखकर शपथ लेंगे। मालूम हो कि ऑस्ट्रेलिया एक क्रिश्चन देश है जहां बाइबिल पर हाथ रखकर शपथ ली जाती है। दीपक ने इसे देखते हुए असेंबली के अधिकारियों से ये जानना चाहा कि क्या कोई सदस्य अन्य धर्म ग्रंथ के साथ शपथ ले सकता है। इसपर असेंबली के अधिकारियों ने बिना किसी बंदिश के उन्हें दूसरे धर्म ग्रंथ के साथ शपथ लेने की इजाजत दे दी। दीपक ने भगवद् गीता पर हाथ रखकर शपथ लेने के बाद उसे असेंबली को बतौर सोविनियर उपहार स्वरूप भेंट कर दिया।
भाई ने कहा, काफी संघर्ष करना पड़ा
दीपक के भाई अनिल राज ने अपने भाई के संघर्ष के दिनों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दीपक पढ़ाई करने के साथ-साथ कार धोने का काम और रेस्टोरेंट में काम करता था। साल 1991 में दीपक को पब्लिक रिलेशन ऑफिसर की नौकरी मिली और इसके बाद उन्हें डिफेंस में एग्जीक्यूटिव ऑफिसर के तौर पर सरकारी नौकरी मिली।
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दिया
दीपक के भाई अनिल ने बताया कि उनके भाई यहां रहकर भी भारतीय संस्कृति को भूले नहीं। उन्होंने भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए। इसके अलावा उन्होंने मंदिर और गुरूद्वारा बनाने में भी अपना योगदान दिया। अनिल ने बताया कि कैनबरा में भारत के विभिन्न त्योहार मनाए गए जिसमें मंत्रियों को भी बुलाया गया ताकि इससे भारत की संस्कृति के बारे में लोग ज्यादा जान पाएं। दीपक के सांस्कृतिक मूल्यों में योगदान के चलते उन्हें मल्टी कल्चर एडवोकेट तथा एक्सीलेंस कम्युनिटी सर्विस का अवार्ड भी मिल चुका है।
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया-इंडिया बिजनेस काउंसिल नामक ऑर्गेनाइजेशन, जिसका मकसद दोनों देशों में व्यापार को बढ़ाना रहा है। उसमें दीपक 2006 से लेकर 2016 तक प्रेसिडेंट भी रहे हैं।