
वॉशिंगटन : अमेरिका के 44 सांसदों ने ट्रम्प प्रशासन को पत्र लिखकर भारत को फिर से जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंसेज (जीएसपी) में शामिल करने की मांग की है। इस पत्र में सांसदों ने लिखा है कि ऐसा करने से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते करने में आसानी होगी। मालूम हो कि इसी वर्ष जून में अमेरिका ने भारत को जीएसपी कार्यक्रम से बाहर कर दिया था। जिसके बाद लोकतांत्रिक पार्टी के एक शीर्ष सांसद ने भारत को जीएसपी में शामिल करने की बात कही थी।
पत्र द्वारा सांसदों ने किया ये अपील
सांसदों ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइटहाइजर को पत्र के माध्यम से कहा कि भविष्य को ध्यान में रखते हुए हमें अपने उद्योगों के लिए बाजारों की उपलब्धता सुनिश्चित करानी चाहिए। ऐसा न हो कि कुछ छोटे मुद्दों पर मोल-भाव की वजह से इस पर असर पड़े। बता दें कि अमेरिका के जीएसपी कार्यक्रम में शामिल देशों को विशेष सुविधा दी जाती है। इन देशों से अमेरिका एक तय राशि के तहत आयात पर शुल्क नहीं लेता।
भारत को शामिल न करने से अमेरिका को नुकसान
ट्रम्प प्रशासन को लिखे गए पत्र में कांग्रेस (संसद) सदस्य जिम हाइम्स और रॉन एस्टेस की ओर से कुल 26 प्रजातंत्रवादी और 18 रिपब्लिकन सासंदों ने हस्ताक्षर किए हैं। वहीं मंगलवार को कोलिशन फॉर जीएसपी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डैन एंथनी ने कहा कि भारत से जीएसपी दर्जा छीने जाने के बाद से ही अमेरिकी कंपनियां संसद को नौकरियों और आमदनी के नुकसान की जानकारी दे रही हैं। बता दें कि अमेरिका ने इसी साल जून में भारत को जीएसपी कार्यक्रम से बाहर कर दिया था। एंथनी के अनुसार भारत को जीएसपी से बाहर करने के बाद भी भारतीय निर्यातकों की हालत उन से बेहतर है। वहीं अमेरिकी कंपनियों को प्रतिदिन 10 लाख डॉलर यानी करीब 7 करोड़ रुपए नए टैरिफ के तौर पर चुकाने पड़ रहे हैं। इतना ही नहीं नए डेटा के अनुसार जुलाई में ही अमेरिकी कंपनियों को 3 करोड़ डॉलर यानी करीब 214 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा।
ट्रम्प और मोदी के बीच होगी जीएसपी पर चर्चा
गौरतलब है कि 22 सितंबर को ह्यूस्टन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारतीय समुदाय की एक रैली को संबोधित करेंगे। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इस दौरान दोनों देशों के नेता लंबे समय से चले आ रहे व्यापारिक मुद्दों की परेशानियों पर समझौते करेंगे। रिपोर्ट्स की माने तो मोदी और ट्रम्प के बीच भारत को जीएसपी कार्यक्रम में वापस शामिल करने पर भी चर्चा होगी।