नई दिल्ली : देश में कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए मैनकाइंड फार्मा ने मुख्यमंत्री राहत कोष में 51 करोड़ रुपये देने की बात कही है, जिससे इस बीमारी को खत्म किया जा सके। मैनकाइंड कोरोना पॉजिटिव मामलों की अधिकतम संख्या वाले राज्यों में वेंटिलेटर्स, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेन्ट (पीपीई) और दवाएं दान करेगा। मैनकाइंड फार्मा विभिन्न राज्यों की सरकारों के साथ काम करेगा, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर और ओडिशा में कंपनी काम करेगी।
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी, सेंटर फॉर डिसीज डायनैमिक्स, इकोनोमिक्स एंड पॉलिसी और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के आकलन के अनुसार, जुलाई 2020 तक भारत में वेंटिलेटर्स की मांग बढ़कर 1 मिलियन तक जा सकती है, जबकि उपलब्धता 30,000 से 50,000 तक ही है। अग्रणी फार्मास्युटिकल कंपनी मैनकाइंड फार्मा कोरोना रोगियों का इलाज कर रहे सरकारी अस्पतालों को वेंटिलेटर्स, पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेन्ट (पीपीई) और दवाएं दान करने के लिये आगे आई है। मैनकाइंड फार्मा के चेयरमैन आर. सी. जुनेजा ने कहा कि यह हमारे देश के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण समय है। इस समय कोरोना (कोविड-19) के विरूद्ध लड़ाई के दायित्व को हर तरीके से साझा करना सबसे जरूरी है।
भारत की अग्रणी फार्मा कंपनी होने के नाते हम चाहते हैं कि फंड का उपयोग सुरक्षात्मक उपकरण प्रदान करने और वायरस पीड़ितों को वेंटिलेटर देने के लिये हो। हम अपने अस्पतालों की सुरक्षा और सशक्तिकरण का संकल्प लेते हैं, ताकि रोगियों का उपचार अधिक क्षमता के साथ हो सके। मैनकाइंड फार्मा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव जुनेजा ने कहा कि मैनकाइंड फार्मा के सभी कर्मचारी राहत कोष में अपने एक दिन के वेतन का योगदान कर रहे हैं। संकट की इस घडी में हम देश का हर संभव सहयोग करने को तैयार हैं।