

नयी दिल्ली : विमान बनाने वाली वैश्विक कंपनी एयरबस की भारतीय इकाई के प्रमुख युर्गन वेस्टरमायर ने कहा कि सरकार को देश के वैमानिकी उद्योग के लिए भी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना लागू करने के बारे में सोचना चाहिए। राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित ‘एविएशन इंडिया एंड साउथ एशिया 2025’ सम्मेलन में वेस्टरमायर ने कहा कि भारत का विमानन क्षेत्र मजबूत वृद्धि पथ पर है, लेकिन घरेलू वैमानिकी पारिस्थितिकी को सुदृढ़ बनाने के लिए दीर्घकालिक निवेश की जरूरत है।
क्यों नहीं बढ़ाया जा सकता ? : एयरबस इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक ने कहा, ‘‘वैमानिकी उद्योग दीर्घकालिक निवेश की मांग करता है। भारत में जब अन्य क्षेत्रों के लिए पीएलआई योजनाएं हैं, तो फिर इसका दायरा वैमानिकी उद्योग तक क्यों नहीं बढ़ाया जा सकता?’’ केंद्र सरकार देश में विनिर्माण गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना संचालित कर रही है। इसमें चुनिंदा क्षेत्रों की कंपनियों को स्थानीय विनिर्माण पर सरकार की तरफ से प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
क्या है स्थिति : एयरबस का भारत में असैन्य एवं रक्षा विमानन दोनों क्षेत्रों में ही मजबूत योगदान है। कंपनी देश में दो फाइनल असेंबली लाइन लगा रही है। एच125 हेलीकॉप्टर के लिए कर्नाटक के वेमगल और सी295 सैन्य विमान के लिए गुजरात के वडोदरा में यह असेंबली लाइन लगाई जा रही है। एयरबस भारत से वार्षिक 1.4 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के कलपुर्जों और सेवाओं की सोर्सिंग करती है। कंपनी का कहना है कि वह इस आंकड़े को और बढ़ाने की दिशा में है, क्योंकि भारत उसकी वैश्विक आपूर्ति शृंखला का अहम केंद्र बनता जा रहा है।
साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध : वेस्टरमायर ने कहा कि भारतीय विमानन बाजार तेजी से बढ़ रहा है और एयरबस इसमें दीर्घकालिक साझेदारी को लेकर प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “भारत में हर क्षेत्र में अवसर हैं। यदि नीतिगत समर्थन और निवेश माहौल स्थिर रहे, तो भारत वैश्विक वैमानिकी निर्माण केंद्र बन सकता है।” एयरबस को पिछले कुछ वर्षों में भारतीय एयरलाइंस से भी बड़ी संख्या में विमानों के ऑर्डर मिले हैं।