

नयी दिल्ली : भारतीय उपभोक्ता इस साल के त्योहारी मौसम में बढ़े हुए आत्मविश्वास और वित्तीय आशावाद के साथ खरीदारी कर रहे हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण सोच-विचार कर किये जाने वाले खर्च करने की उनकी क्षमता में हुई बढ़ोतरी है। डेलॉयट इंडिया की उपभोक्ता व्यवहार के नवीनतम रुझानों पर जारी रिपोर्ट के मुताबिक, मुद्रास्फीति के दबाव कम होने और हाल ही में किए गए जीएसटी दर कटौती ने उपभोक्ताओं की खरीद शक्ति और त्योहारों की खुशी बढ़ाई है। उपभोग का यह उत्साह वित्तीय स्थिरता और सोच-समझकर खर्च करने की इच्छा से समर्थित है।
खुशहाली सूचकांक : सितंबर में भारत का वित्तीय खुशहाली सूचकांक 110.3 पर पहुंच गया, जो वैश्विक औसत 103.6 से काफी ऊपर है। यह घरेलू वित्तीय स्थिरता और मजबूत उपभोक्ता धारणा को दर्शाता है।उपभोक्ताओं की भोजन पर खर्च की किफायत के सूचकांक (एफएफआई) में तेज गिरावट इस रिपोर्ट का एक महत्वपूर्ण रुझान है। यह सूचकांक पिछले तीन साल में अपनी दूसरी सबसे निचली स्थिति में है। यह दर्शाता है कि उपभोक्ता अब खाने पर खर्च रोकने के बजाय उसके मूल्य को ध्यान में रखते हुए खरीद कर रहे हैं।
वाहन खरीद का रुझान : वाहन खरीद का रुझान (VPI) भी सालाना आधार पर 6.6 अंक बढ़ा है, जो महंगे उत्पादों की खरीद में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है। इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की तरफ झुकाव भी बढ़ा है। अब 60 प्रतिशत उपभोक्ता EV खरीदने के बारे में सोच रहे हैं जबकि दो साल पहले यह अनुपात 47 प्रतिशत था।
विवेकाधीन खर्च : रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यात्रा, मनोरंजन और व्यक्तिगत देखभाल जैसी चीजों पर विवेकाधीन खर्च लगातार बढ़ रहा है। यह बताता है कि महंगाई कम होने और जीएसटी कटौती के बाद उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता बढ़ी है। अनुमानित मासिक उपभोक्ता खर्च जुलाई में दो प्रतिशत से बढ़कर सितंबर में चार प्रतिशत हो गया।
महंगाई को लेकर चिंताएं बरकरार : हालांकि वैश्विक स्तर पर महंगाई को लेकर चिंताएं बरकरार हैं, लेकिन भारत में बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता में पांच प्रतिशत की कमी आई है और अब केवल 70 प्रतिशत उपभोक्ता इसे मुख्य चिंता मानते हैं। यात्रा और आतिथ्य पर खर्च स्थिर है, जिसमें उपभोक्ता उच्च गुणवत्ता वाले अनुभव और अतिरिक्त सुविधाओं पर अधिक खर्च करने को तैयार दिख रहे हैं।
उपभोक्ता व्यवहार : रिपोर्ट कहती है कि भारतीय उपभोक्ता व्यवहार में एक निर्णायक बदलाव आया है कि अब वे रक्षात्मक न होकर सोच-समझकर खर्च करने लगे हैं। इससे एक परिपक्व, मूल्य को लेकर सजग और आत्मविश्वासी खरीदार की छवि सामने आती है। यह वैश्विक उपभोग प्रवृत्तियों के लिए एक मॉडल स्थापित करता है।