
नई दिल्ली : देश के 200 से अधिक अर्थशास्त्री और शिक्षाविदों ने सरकार पर आर्थिक आंकड़े जारी करने को कहा है। अर्थशास्त्री के समूह ने सभी तरह के सर्वे और रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया है, जिसमें एनएसएसओ द्वारा तैयार किए गए 2017-18 के उपभोक्ता खर्च के आंकड़े भी शामिल हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि 2017-18 के दौरान औसत उपभोक्ता खर्च में तीव्र गिरावट आई है। सरकार इकोनॉमिक सुस्ती को छिपाने के लिए इन आंकड़ों को जाहिर नहीं कर रही है। उन्होंने एक वक्तव्य के जरिये कहा है कि उपभोक्ता खर्च का डाटा बड़े आर्थिक अनुमान के लिए जरूरी होता है, जो समितियों द्वारा प्रयोग में भी लाया जाता है। सरकार इस सूचना को अपने तरीके से प्रयोग कर सकती है लेकिन इसे रोककर रखना अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है। पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है।
वहीं आरबीआइ के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने कहा है कि 2025 तक पांच लाख करोड डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समय देश की इकोनॉमी का आकार 2.7 लाख करोड़ डॉलर है। पांच वर्षो के भीतर इसे दोगुना करने का मतलब है कि कम से कम नौ परसेंट की गति से विकास करना होगा।