नई दिल्ली : केंद्र सरकार चीन छोड़ रही कंपनियों को भारत लाने के लिए ब्लूप्रिंट पर विचार कर रही है, जो कंपनियां अपने व्यापार को चीन से निकालकर कहीं और स्थापित करना चाहते हैं, वे भारत में संभावनाएं तलाशेंगे। जरूरी है कि सरकार इस ओर ध्यान दे और इंडस्ट्री के लीडर्स से मिलकर उन्हें भारत में आने का निमंत्रण दे। सरकार ऐसी ग्लोबल कंपनियों की पहचान करेगी जो चीन से अपना बिजनेस समेट रही हैं या इस पर विचार कर रहीं हैं।
सरकार ऐसी कंपनियों को के लिए उपयुक्त माहौल देगी जो भारत में निवेश करना चाहती हैं। वित्तमंत्री ने कहा कि हम सिर्फ अमेरिका-चीन में चल रहे टकराव को देखकर फैसले नहीं लेंगे। कई और महत्वपूर्ण मामलों पर सोचने के बाद विचार करेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि ये जरूरी नहीं है कि सभी कंपनियां चीन से बाहर निकलने पर विचार कर रहीं हों। चीन बड़ा बजार है और यहां खपत का तरीका और लोगों की क्रय शक्ति भारत से अलग हो सकती है। ग्लोबल कंपनियां भारतीय बाजारों में निवेश करें इसके लिए हम उपयुक्त माहौल बनाना चाहते हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि हाल में की गई कॉरपोरेट टैक्स में कटौती ग्लोबल कंपनियों के हित में है और यह कदम निवेश आकर्षित करने में मददगार होगा।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में तेजी
सीतारमण ने कहा है कि भारत-अमेरिका में व्यापार वार्ता जल्द ही समझौते का रूप ले लेगी। आइएमएफ के मुख्यालय में सीतारमण और अमेरिका के वित्त मंत्री स्टीवन म्यूचिन के बीच व्यापार समझौते के बारे में चर्चा हुई। अगले महीने की शुरुआत में म्यूचिन का भारत दौरा प्रस्तावित है। सीतारमण ने कहा कि भारत के वाणिज्य मंत्री और अमेरिका के वार्ताकार रॉबर्ट लाइटहाइजर के बीच इस मुद्दे पर बातचीत चल रही है और जल्द ही इस पर समझौता हो जाएगा।
भारत और चीन से ग्लोबल इकोनॉमी होती है प्रभावित
वित्त मंत्री ने कहा कि वैश्विक विकास दर भारत और चीन के विकास से जुड़ी हुई है। ग्लोबल स्लोडाउन के चलते ब्याज दरों में गिरावट आई है और यह बहुत हद तक चीन और भारत की विकास दर के अनुमान पर निर्भर करती है या दूसरे शब्दों में इनका प्रदर्शन ग्लोबल इकोनॉमी से जुड़ा है। वित्त मंत्री ने बताया कि विश्व बैंक और आइएमएफ की बैठक के दौरान ग्लोबल स्लोडाउन पर चर्चा हुई, जहां गिरती ब्याज दरों पर चिंता जताई गई।
किसी एक मामले के चलते पूरी प्रक्रिया पर सवाल ठीक नहीं
वित्त मंत्री ने कहा कि किसी एक वित्तीय मामले में देखी गई अनिश्चितता के चलते पूरे इन्सॉलवेंसी एंड बैंक्रप्सी कोड (आइबीसी) पर सवालियां निशान नहीं लगाया जाना चाहिए। आइबीसी में कुछ खामियां सामने आई थीं, जिसके बाद इस प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे थे। अगर कोई संपत्ति दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है और उस संपत्ति का कोई हिस्सा ईडी द्वारा अटैच कर लिया जाता है, तो इसपर पहली प्रतिक्रिया आइबीसी की तरफ से आनी चाहिए।