
नई दिल्ली : विदेशों में छुट्टियां बिताना लोगों का ड्रीम होता है। फ्लाइट टिकट बुक करने से लेकर ठहरने और घुमने के लिए पैसे की जरूरत होती है, लेकिन आपकी इन जरूरतों को म्युचुअल फंड काफी हद तक पूरी कर सकता है। दरअसल म्युचुअल फंड में निवेश भी किसी अन्य विकल्प में निवेश करने जैसा है, लेकिन जरूरी है सही म्युचुअल फंड चुनना है। छुट्टी से पहले समय के आधार पर आपके पास लिक्विड फंड से लेकर अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म फंड तक चुनने के विकल्प हैं।
यदि आपने तीन महीने बाद की छुट्टी की योजना बनाई है और म्युचुअल फंड में निवेश के साथ आने वाले बाजार के जोखिमों को लेकर चिंतित हैं, तो लिक्विड फंड आपके लिए सबसे अच्छा दाव हो सकता है। इनमें जोखिम काफी कम होता है और ये मुख्य रूप से शॉर्ट टर्म फिक्ड्स इनकम इंस्ट्रूामेंट्स में निवेश करते हैं, जिनकी मैच्यो्रिटी अवधि तीन महीने या उससे कम होती है। लिक्विड फंड बचत खाते जैसे अन्य पारंपरिक तरीकों की तुलना में ज्यादा रिटर्न देते हैं। साथ ही वे ज्यादा लिक्विडिटी भी प्रदान करते हैं और पूंजी निवेश को सुरक्षित रखते हैं।
यदि आपने छह महीने बाद की छुट्टी के लिए योजना बनाई है तो आप अल्ट्रा शॉर्ट टर्म म्युचुअल फंड में निवेश करें, ये फंड काफी हद तक लिक्विड फंड्स के समान हैं जो नियत-ब्याज देने वाले साधनों में निवेश करते हैं, लेकिन 6 महीने तक की परिपक्वता अवधि के साथ। ये फंड मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश कर लिक्विड फंड्स की तुलना में अधिक रिटर्न देते हैंआपने एक से दो साल बाद के लिए छुट्टी की योजना बनाई है, तो अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म फंड चुन सकती हैं।
अल्पकालिक फंड पर स्विच करने से अतिरिक्त जोखिम बढ़ेगा, वे मुख्य रूप से एक से तीन साल तक की परिपक्वता अवधि वाले ऋण साधनों में निवेश करते हैं। जितनी लंबी परिपक्वता अवधी होगी, आपकी योजना उतनी ही अधिक जोखिमपूर्ण होगी। यद्यपि अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड डेट इंस्ट्रूजमेंट्स में निवेश करते हैं, जो जोखिम नियंत्रित होता है, क्योंकि परिपक्वता अवधि तीन से छह महीने के बीच होती है।