
नई दिल्ली :पिछले 24 घंटे में कोरोना से 195 लोगों की मौत हुई तो वहीं 3900 नए मामले सामने आए हैं। लॉकडाउन के तीसरे चरण में विभिन्न राज्य सरकारों ने शराब की दुकानों को खोल दिया है, जिसके कारण मामले बढ़े हैं। ऐसी गंभीर परिस्थितियों में लापरवाही को निंदनीय बताते हुए कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने विरोध किया है। शराब के दुकानों पर भीड़ उमड़ रही है और लंबी लाइन लग रही, जहाँ सोशल डिस्टेंस का भी पालन नहीं किया जा रहा है। एक तरफ व्यापारी कोरोना फैलने के डर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और नुकसान झेल रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ शराब की बिक्री से लॉकडाउन के मूल उद्देश्यों को ध्वस्त किया जा रहा है।
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने कहा कि सरकारों का यह निर्णय उनके राजस्व प्राप्त करने के स्वार्थ का जीता जागता सबूत है और इस निर्णय से सरकारों ने नागरिकों के स्वास्थय के साथ खिलवाड़ किया है जिसकी जितनी भर्त्सना की जाए उतनी कम है। देश आज कोरोना के बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है, जहाँ प्रतिदिन लगभग 2000 से अधिक लोग कोरोना से प्रभावित हो रहे हैं वहां ऐसे में शराब की दुकानों को खोला जाना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है ।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने सरकारों से सवाल किया है कि क्या देश में कोरोना का भय कम हो गया है ? जिसके कारण इन दुकानों को खोला गया है और अगर ऐसा है तो व्यापारियों की दुकाने खोले जाने का आदेश क्यों नहीं दिया गया? उन्होंने कहा की शराब के प्रत्येक बोतल पर स्पष्ट लिखा रहता है की शराब पीना स्वास्थय के लिए हानिकारक है, फिर भी इस नाजुक दौर में केवल राजस्व प्राप्त करने के लिए इन दुकानों को खोला गया है, जिससे यह साफ़ स्पष्ट होता है की सरकारों को लोगों के स्वास्थय के बजाय अपने राजस्व की अधिक चिंता है ।
शराब की दुकानों पर सामाजिक दूरी बुरी तरह ध्वस्त हो गई है, जिसके कारण बड़ी संख्यां में और अधिक लोगो के संक्रमण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। राज्य सरकारों या तो शराब की दुकानों को बंद करें या व्यापारियों को भी अपनी दुकानें खोलने की अनुमति दें।